हाईकोर्ट का सख्त रुख: परीक्षा में आरोपी ‘सॉल्वर’ की जमानत याचिका खारिज, मेधावी छात्रों के भविष्य की चिंता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीटीईटी परीक्षा में सॉल्वर बैठाने के आरोपी संदीप सिंह पटेल की जमानत याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। आरोपी के खिलाफ बीएनएस और उत्तर प्रदेश परीक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 19 July 2025, 1:19 PM IST

Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में ‘सॉल्वर’ बैठाने के गंभीर आरोप में फंसे संदीप सिंह पटेल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी से मेहनती और मेधावी छात्रों का करियर खतरे में पड़ रहा है, जो शिक्षा प्रणाली में ईमानदारी और मेहनत पर भरोसा करते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला 15 दिसंबर 2024 को सामने आया, जब सीटीईटी परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र के अधिकारियों ने लोकेंद्र शुक्ला नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। लोकेंद्र कथित तौर पर संदीप सिंह पटेल की जगह परीक्षा दे रहा था।

जांच में यह भी सामने आया कि सॉल्वर का बायोमेट्रिक सत्यापन असफल रहा, जिसके बाद दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निषेध) अधिनियम, 2024 की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

न्यायमूर्ति का कड़ा संदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने इस मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि नकल और धोखाधड़ी जैसी गतिविधियां न केवल शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि उन मेधावी छात्रों के भविष्य को भी प्रभावित करती हैं जो अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल करने का सपना देखते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतों से योग्यता पर धब्बा लगता है और इमानदार विद्यार्थियों का शिक्षा व्यवस्था में विश्वास डगमगा जाता है।

आरोपी ने क्या दी दलील?

संदीप सिंह पटेल ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया कि वह 14 से 17 दिसंबर तक अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें सॉल्वर बैठाने की कोई जानकारी नहीं थी। उनके वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि संदीप का सॉल्वर या उसके साथियों से कोई संबंध नहीं है और न ही कोई आर्थिक लेन-देन का सबूत मिला है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं होने और सह-अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिलने का हवाला देते हुए जमानत की मांग की गई।

सरकारी वकील ने किया विरोध

हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और इस तरह के गंभीर अपराध में जमानत देना उचित नहीं होगा। सरकार का तर्क था कि इस तरह की धोखाधड़ी से न केवल परीक्षा की पवित्रता प्रभावित होती है, बल्कि यह समाज में गलत संदेश भी देता है। इस मामले में कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि शिक्षा प्रणाली में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो अनुचित साधनों का सहारा लेकर सफलता हासिल करने की सोचते हैं।

Location : 
  • Prayagraj

Published : 
  • 19 July 2025, 1:19 PM IST