High Court: एएमयू की पहली महिला कुलपति की नियुक्ति को ठहराया वैध, जानिए क्या है पूरा मामला

एएमयू के इतिहास में पहली महिला कुलपति बनने वाली प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर चल रहे कानूनी विवाद का अंत हो गया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए क्या था पूरा मामला

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 18 May 2025, 1:07 PM IST
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अलीगढ़: उत्तर प्रदेश की Aligarh Muslim University  (एएमयू) के इतिहास में पहली महिला कुलपति बनने वाली प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को लेकर कानूनी विवाद खत्म हो गया है। Allahabad High Court ने आज (18 मई, 2025) अपने ऐतिहासिक फैसले में उनकी नियुक्ति को वैध, कानूनी और निष्पक्ष माना। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने उनके चयन को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।

नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से एएमयू एक्ट और विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार की गई है। प्रो. नईमा खातून, जो पहले एएमयू महिला कॉलेज की प्रिंसिपल रह चुकी हैं, University के सौ साल के इतिहास में कुलपति बनने वाली पहली महिला हैं।

याचिकाओं में दावा किया गया था कि उनके पति प्रो. मोहम्मद गुलरेज़, जो कार्यवाहक कुलपति के रूप में कुछ बैठकों की अध्यक्षता कर रहे थे, ने चयन प्रक्रिया को प्रभावित किया। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उनकी भूमिका केवल औपचारिक थी और इससे चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित नहीं होती।

राष्ट्रपति द्वारा अंतिम अनुमोदन

High Court ने यह भी कहा कि प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति पर अंतिम फैसला भारत के President द्वारा लिया गया था, जो विश्वविद्यालय के विजिटर हैं। कोर्ट ने इसे संवैधानिक करार देते हुए कहा कि President के विवेक में पक्षपात का कोई सबूत नहीं है।

प्रो. नइमा खातून का प्रतिक्रिया

फैसले के बाद अपने बयान में प्रो. नईमा खातून ने कहा, "मैंने हमेशा भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता, गरिमा और निष्पक्षता में विश्वास किया है। यह फैसला मेरे लिए न केवल व्यक्तिगत न्याय है, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी पुष्टि करता है। मैं पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ विश्वविद्यालय की सेवा करती रहूंगी।" उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला महिला सशक्तिकरण और समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने इसे प्रगति और ज्ञान की दिशा में एएमयू के लिए एक नई शुरुआत बताया।

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