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गोरखपुर: हत्या के दोषी ओमप्रकाश तिवारी उर्फ डब्लू तिवारी को उम्रकैद की सजा

जनपद गोरखपुर की एक अदालत ने वर्ष 2019 में थाना बड़हलगंज क्षेत्र में हुई जघन्य हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी ओमप्रकाश तिवारी उर्फ डब्लू तिवारी को कड़ी सजा सुनाई है।
Post Published By: Jay Chauhan
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गोरखपुर: हत्या के दोषी ओमप्रकाश तिवारी उर्फ डब्लू तिवारी को उम्रकैद की सजा

Gorakhpur: जनपद गोरखपुर की एक अदालत ने वर्ष 2019 में थाना बड़हलगंज क्षेत्र में हुई जघन्य हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी ओमप्रकाश तिवारी उर्फ डब्लू तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोषी पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ है, बल्कि समाज में कानून के प्रति विश्वास को और मजबूत करने वाला है।

डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट अनुसार मामला मु0अ0सं0 376/2019, धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत थाना बड़हलगंज में दर्ज किया गया था। इस हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक के “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत इस केस को प्राथमिकता दी गई।

गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में विवेचक निरीक्षक रामाज्ञा सिंह ने गहन जांच की, जिसमें मॉनिटरिंग सेल और थाने के पैरोकारों की सतत पैरवी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समन्वित प्रयास से मामला निर्णायक मोड़ तक पहुंचा।

मा0 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ASJ-01) गोरखपुर की अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने ठोस साक्ष्य, गवाहों और प्रभावशाली दलीलों के आधार पर ओमप्रकाश तिवारी को दोषी साबित किया।

अभियोजन की ओर से एडीजीसी (ADGC) मनीष कुमार मिश्रा ने सशक्त पैरवी कर इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने में अहम योगदान दिया। उनके तर्कों और साक्ष्यों की मजबूती ने अदालत को दोषी को सजा सुनाने के लिए प्रेरित किया। यह फैसला गोरखपुर पुलिस और न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता व कार्यकुशलता का जीवंत प्रमाण है।

“ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत अपराधियों को सजा दिलाने की दिशा में यह एक और बड़ी उपलब्धि है। इस निर्णय से न केवल पीड़ित पक्ष को राहत मिली है, बल्कि समाज में कानून का भय और अपराध के प्रति दहशत भी स्थापित हुई है।

गोरखपुर पुलिस ने इस फैसले को कानून व्यवस्था की मजबूती का प्रतीक बताते हुए कहा कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, उसे कानून के शिकंजे में लाया जाएगा। यह निर्णय अपराध नियंत्रण और न्यायिक प्रक्रिया में पुलिस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 

 

 

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