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चंदौली में मां गंगा का तांडव जारी, कई गांव जलमग्न, फसलें बर्बाद, लोग शिविरों में शरण लेने को मजबूर

चंदौली के डीडीयू और सकलडीहा तहसील के तटवर्ती गांवों में गंगा ने मचाया तांडव। खेत डूबे, फसलें बर्बाद, लोग बाढ़ राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर। प्रशासन मौके पर, लेकिन कई इलाकों तक अब भी नहीं पहुंची मदद।
Post Published By: सौम्या सिंह
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चंदौली में मां गंगा का तांडव जारी, कई गांव जलमग्न, फसलें बर्बाद, लोग शिविरों में शरण लेने को मजबूर

Chandauli: जनपद में गंगा नदी इन दिनों अपने उफान पर है। डीडीयू नगर और सकलडीहा तहसील के कई गांवों में गंगा ने कहर बरपाया है। तटवर्ती इलाकों में पानी भर जाने से लोगों की दिनचर्या ठप हो गई है। बहादुर गांव, कैली, और टांडा कला जैसे कई गांवों में गंगा का पानी घरों, खेतों और मंदिरों तक पहुंच गया है।

सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसलों को हुआ है, जो खेतों में खड़ी थीं और अब पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। सैकड़ों बीघा फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कई गांवों में अब तक नहीं पहुंची मदद

सकलडीहा तहसील के कैली गांव सहित दर्जनों गांवों में हालात बेहद खराब और चिंताजनक हैं। सड़क संपर्क पूरी तरह टूट चुका है और लोग एक गांव से दूसरे गांव नावों के सहारे पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने अब तक पर्याप्त मदद नहीं पहुंचाई है। कुछ गांवों में न तो भोजन सामग्री, न ही पीने का पानी, और न ही दवाएं उपलब्ध हैं।

एसडीएम ने किया बहादुर गांव का दौरा, ग्रामीणों से की ये अपील

डीडीयू नगर तहसील के अंतर्गत आने वाले बहादुर गांव में स्थिति का जायजा लेने पहुंचे एसडीएम ने ग्रामीणों से बाढ़ चौकी पर शिफ्ट होने की अपील की। अधिकारियों का कहना है कि हालात पर नजर रखी जा रही है, लेकिन पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि राहत कार्यों में बाधा आ रही है।

एसडीएम ने किया गांव का दौरा

एक ग्रामीण ने बताया- हर साल पानी आता है लेकिन इस बार हालात काफी बिगड़ चुके हैं। हम बच्चों और बूढ़ों को लेकर सुरक्षित जगह पर आ गए हैं, लेकिन गांव में जानवर और सामान सब छूट गया।

200 साल पुराना मंदिर डूबा, विशाल बरगद का पेड़ धराशायी

टांडा कला इलाके में गंगा का पानी इतना बढ़ गया कि 200 साल पुराना मंदिर पूरी तरह डूब गया। वहीं, मंदिर के पास स्थित वृहतकाय बरगद का पेड़ भी पानी की मार सह नहीं सका और धराशायी हो गया। ग्रामीणों ने बताया कि यह पेड़ स्थानीय आस्था का प्रतीक था और हर साल सावन में यहां पूजा होती थी। यह घटना इलाके के लोगों के लिए भावनात्मक रूप से भी बड़ा झटका है।

खतरे से बेखबर होकर बाढ़ में मस्ती करते दिखे बच्चे

हालात चाहे जितने भी गंभीर हों, कुछ युवक और बच्चे गंगा के पानी में नहाते और मस्ती करते नजर आए, जो स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। बाढ़ के पानी में बहाव तेज और गहराई अधिक है, जिससे किसी बड़े हादसे की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।

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