Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय शनिवार की शाम सुर, लय और भक्ति की भावनाओं से गूंज उठा। अवसर था पुस्तक महोत्सव के दूसरे दिन विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ “तरंग” द्वारा आयोजित फ्यूजन म्यूजिक एवं भजन संध्या का। मिश्रित संगीत और वाद्य यंत्रों की मधुर सरगम ने ऐसा वातावरण बनाया कि दर्शक देर तक कार्यक्रम में डूबे रहे।
भव्य आरंभ ने किया मंत्रमुग्ध
कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ, जिसे स्वर साधक ईश्वर आनंद पांडे ने अपनी मधुर आवाज़ में प्रस्तुत किया। उनके गायन ने पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया। इसके बाद राजन भारती की भजन प्रस्तुति ने श्रोताओं को आध्यात्मिकता के सागर में डुबो दिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन रही। उनके साथ अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे और अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. कीर्ति पांडे भी उपस्थित थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त का बड़ा बयान: कहा- बिहार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर नहीं लगेगा कोई दाग
फ्यूजन बैंड की प्रस्तुति बनी आकर्षण का केंद्र
शाम की सबसे यादगार झलक रही विश्वविद्यालय की प्रो. ऊषा सिंह के निर्देशन में तैयार स्वर टीम की फ्यूजन बैंड प्रस्तुति। इस टीम ने शास्त्रीय, लोक और आधुनिक संगीत की विभिन्न शैलियों को वाद्य और गायन के माध्यम से जोड़ा। जब ढोलक, तबला, गिटार, की-बोर्ड और बांसुरी के सुर एक साथ गूंजे, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। संगीत के इस प्रयोग ने दर्शकों को भारतीय संगीत की गहराई और आधुनिकता के मेल का अद्भुत अनुभव कराया।
सृजनात्मकता का उत्सव
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अमोद कुमार राय ने बताया कि इस आयोजन की विशेषता यह रही कि इसमें संगीत की सभी विधाओं गायन, वादन और नृत्य का समन्वय किया गया। उन्होंने कहा, “यह केवल एक संगीत संध्या नहीं, बल्कि भक्ति, अनुभूति और आध्यात्मिकता का संगम है। छात्रों ने अपनी सृजनात्मकता से यह साबित किया है कि विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का, बल्कि सांस्कृतिक जीवंतता का भी केंद्र है।”
कुलपति ने दी छात्रों को सराहना
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने छात्रों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों में सृजनात्मकता, अनुशासन और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा,
“यह फ्यूजन म्यूजिक संध्या परंपरा और आधुनिकता के संगम का सुंदर उदाहरण है। ऐसे प्रयास विश्वविद्यालय को नई पहचान दिलाते हैं।”
अविस्मरणीय बनी संध्या
कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने स्वर टीम और भजन प्रस्तुतकर्ताओं को खड़े होकर सम्मान दिया। सांस्कृतिक संध्या के इस अनोखे संगम ने यह साबित कर दिया कि जब युवा पीढ़ी परंपरा और नवाचार का संतुलन साधती है, तो हर मंच सुर, लय और भावना के सामंजस्य से गूंज उठता है। यह संध्या गोरखपुर विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक जीवन में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में दर्ज हो गई जहां संगीत ने भक्ति को और भक्ति ने मानवता को एक सूत्र में बांध दिया।

