फतेहपुर जिले के ऐरायां विकास खंड अंतर्गत भादर ग्राम पंचायत स्थित नंदी गौशाला में गंभीर अव्यवस्थाओं का मामला सामने आया है। यहां गोवंशों के रखरखाव को लेकर लापरवाही इस हद तक बढ़ गई है कि मवेशी खुलेआम सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं।

भादर नंदी गौशाला में व्यवस्था फेल
Fatehpur: फतेहपुर जिले के ऐरायां विकास खंड अंतर्गत भादर ग्राम पंचायत स्थित नंदी गौशाला में गंभीर अव्यवस्थाओं का मामला सामने आया है। यहां गोवंशों के रखरखाव को लेकर लापरवाही इस हद तक बढ़ गई है कि मवेशी खुलेआम सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं। गौशाला की दुर्दशा को लेकर गौ सेवक जगन्नाथ ने ग्राम प्रधान समेत जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
गौ सेवक जगन्नाथ का आरोप है कि गौशाला में चारा, भूसा, चोकर और हरे चारे की आपूर्ति केवल कागजों तक सीमित है। वास्तविकता में गोवंशों को पेट भर भोजन तक नसीब नहीं हो रहा। उन्होंने बताया कि कई दिनों से मवेशी भूख और ठंड से तड़प रहे हैं, जिससे उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
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गौशाला में न तो काऊ कोट की व्यवस्था है और न ही अलाव की। कड़ाके की ठंड में गोवंश खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। कई पशु बीमार हो चुके हैं, लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पशुओं की मौतें भी हो चुकी हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
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न चारा, न इलाज, न काऊ कोट-ठंड में खुले आसमान तले तड़प रहे गोवंश। कागज़ों में हरा चारा, ज़मीनी हकीकत शून्य। गौ सेवक जगन्नाथ ने खोली प्रशासन की पोल।#Fatehpur #Gaushala #GauSeva #BreakingNews pic.twitter.com/TA9itIjYPV— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) December 28, 2025
गौशाला में बिजली की सुविधा पूरी तरह ठप है। बताया गया कि ट्रांसफार्मर कई महीनों से खराब पड़ा है, जिससे रात के अंधेरे में देखरेख करना बेहद मुश्किल हो जाता है। अंधेरे के कारण गोवंशों को चोट लगने की आशंका भी बनी रहती है।
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गौ सेवक के अनुसार, दो-चार महीने में कभी-कभार मात्र 5 बोरी कपिला पशु आहार आता है, जो करीब 150 मवेशियों के लिए नाकाफी है। हरे चारे की बुवाई तक नहीं कराई गई और न ही किसानों से चारा लेने की कोई व्यवस्था की गई है। परिणामस्वरूप गोवंश कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
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ग्रामवासियों और गौ सेवकों ने जिला प्रशासन से मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो गोवंशों की जान पर बन आएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।