

सुर सम्राट पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन के बाद परिवार में विवाद गहरा गया। पुत्री डॉ. नम्रता मिश्रा ने बड़े पुत्र पं. रामकुमार मिश्र पर परंपरागत संस्कार न कराने और जिम्मेदारी न निभाने का आरोप लगाया है, जबकि रामकुमार ने संपत्ति बिक्री और मानहानि के आरोपों के खिलाफ पलटा हमला किया है।
महान गायक पं. छन्नूलाल मिश्र के परिवार में विवाद
Varanasi: संगीत जगत के प्रतिष्ठित शख्सियत और पद्मविभूषण विजेता पं. छन्नूलाल मिश्र के निधन के बाद परिवार में सुलगते विवाद सामने आए हैं। 2 अक्टूबर को निधन के बाद से ही अब परिवार में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
पं. मिश्र की पुत्री डॉ. नम्रता मिश्रा ने आरोप लगाया कि उनके बड़े भाई पं. रामकुमार मिश्र ने पिता के अंतिम संस्कार और तेरहवीं जैसे अनुष्ठानों को सनातन परंपरा के अनुरूप नहीं कराया। नम्रता के अनुसार, “पिताजी जीवनभर धर्म और अध्यात्म से जुड़े रहे। वे प्रतिदिन राम नाम जपते और विधिपूर्वक पूजा करते थे। ऐसे व्यक्ति के संस्कार बिना परंपरा के कराना उनके प्रति अन्याय है।”
नम्रता ने यह भी बताया कि अंतिम संस्कार के बाद रात में उनसे ₹25,090 का भुगतान करने को कहा गया। उन्होंने कहा कि उन्हें यह तक नहीं बताया गया कि व्यवस्था कैसे और किसने कराई। नम्रता ने आगे कहा कि वे अब खुद ब्राह्मण भोज और अन्य अनुष्ठान पूरे करेंगी ताकि पिताजी की आत्मा को शांति मिले।
छन्नूलाल मिश्र के परिवार में बवाल
नम्रता मिश्रा ने कहा कि उन्होंने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए गरुण पुराण का पाठ आरंभ कर दिया है, जो पांच दिन चलेगा। इसके बाद वे दसवां, ग्यारस और त्रयोदशी जैसे संस्कार सनातन परंपरा के अनुसार संपन्न कराएंगी।
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दूसरी ओर, बड़े पुत्र पं. रामकुमार मिश्र ने नम्रता के आरोपों को पूरी तरह नकार दिया। उनका कहना है कि वे पिता के कर्मकांड पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नम्रता ने पिता का पुराना मकान (छोटी गैबी) बिना बताए बेच दिया और मुख्यमंत्री से नकली रिश्तेदारों को मिलवाने की कोशिश की।
रामकुमार ने कहा, “मुखाग्नि मेरे पुत्र राहुल ने दी है। मैं सनातन परंपरा के अनुसार सब कुछ कर रहा हूं, लेकिन इसका प्रचार नहीं करूंगा। नम्रता के बयानों से पिताजी की आत्मा को कष्ट होगा।”
नम्रता ने बताया कि कोविड के दौरान उनकी मां और बहन का निधन हुआ था, उस समय तेरह दिन का अनुष्ठान संभव नहीं था। पिताजी हमेशा कहते थे कि अधूरे संस्कारों से आत्मा को शांति नहीं मिलती। इसलिए उन्होंने बाद में पिशाचमोचन अनुष्ठान कराया था।
संगीत जगत में पं. छन्नूलाल मिश्र का नाम बनारस घराने की गायकी के साथ स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उनके निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने शोक जताया था। अब पारिवारिक विवाद के चलते संगीत प्रेमियों में निराशा है कि जिस व्यक्ति ने जीवनभर भक्ति और संगीत को समर्पित किया, उनके निधन के बाद परिवार में इस तरह का विवाद उठ खड़ा हुआ।
रामकुमार मिश्र ने चेतावनी दी कि अगर नम्रता ने झूठे आरोप लगाना बंद नहीं किया तो वे मानहानि का मुकदमा करेंगे। फिलहाल दोनों पक्षों में संवाद की संभावना कम दिखाई देती है, लेकिन उम्मीद है कि परिवार जल्द समाधान निकालेगा ताकि सुरों के इस साधक की आत्मा को सच्ची शांति मिल सके।
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