Site icon Hindi Dynamite News

Dowry Case: कब थमेगा ये सिलसिला? रायबरेली में दहेज की मांग ने छीनी एक और ज़िंदगी

रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में दहेज प्रताड़ना का शिकार एक बहू की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। पीड़िता के परिजनों ने ससुराल वालों पर लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पुलिस ने पति, सास और ससुर को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा।
Post Published By: Poonam Rajput
Published:
Dowry Case: कब थमेगा ये सिलसिला? रायबरेली में दहेज की मांग ने छीनी एक और ज़िंदगी

Raebareli: रायबरेली जिले के ऊंचाहार थाना क्षेत्र के पूरे कुशल मजरे गोकना निवासी ससुराल पक्ष द्वारा लगातार दहेज की मांग और प्रताड़ना का शिकार बनी बहू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि शादी के बाद से सास-ससुर और पति द्वारा बार-बार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की गई, जिससे हालत इस कदर बिगड़ी कि  उसने अपनी जान गंवा दी।

तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार, मुकदमा दर्ज

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, मामले में पीड़ित परिवार की लिखित तहरीर पर पुलिस ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम एवं संबंधित आपराधिक धाराओं (80(2)/85 बीएनएस, 3/4 डीपी एक्ट) के तहत पति आशीष कुमार, ससुर औसान, और सास शिवपती उर्फ सुशीला के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। तीनों आरोपी पुलिस की पकड़ में आ गए और न्यायालय में पेश कर उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।

फिलिस्तीन के झंडे ने रायबरेली में बढ़ाया तनाव, बारावफात पर बिगड़ा माहौल

सीओ की जानकारी और पुलिस की कार्रवाई जारी

सीओ अरुण नौहार ने पुष्टि की कि आरोपियों के खिलाफ धारा 80(2)/85 बीएनएस व 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम में मामला दर्ज किया गया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस इस पूरे कांड की गहन जांच करने में तल्लीन है और जल्द ही न्याय सुनिश्चित करना प्राथमिकता है।

दहेज हत्या की कुरीति एक बार फिर उजागर

यह दुखद घटना फिर से समाज में घर-घर फैली दहेज जैसी कुरीति की कातिल सच्चाई को सामने ला रही है। सवाल उठता है—हम कब तक बेटियों की जान को इस कुरीति की औरतों से बचने की लड़ाई में खोते रहेंगे? क्या हमें इस रुढ़िवादी मानसिकता के खिलाफ आवाज़ उठाने में देर लगनी चाहिए?

Ganesh Visarjan: हर साल लौटता है ये राजा, पर क्यों है ये उत्सव इतना खास? रायबरेली में अनोखी भक्ति

यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक संवेदनशीलता, कानून की प्रासंगिकता और महिला सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न है। आवश्यकता है सख्त कार्रवाई की, ताकि बेटियों को संजोने वाले परिवारों में यह भय और संकट कम हो। प्रशासन और समाजदोनों मिलकर बेटियों को सुरक्षित, सम्मानजनक जीवन दिलाने की दिशा में काम करें।

Exit mobile version