Mainpuri: जिले में चिकित्सा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं, जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कचहरी रोड स्थित राज अल्ट्रासाउंड सेंटर पर छापेमारी कर फर्जी डिग्री के आधार पर कार्यरत एक कथित डॉक्टर को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम डॉ. सुभाष चंद्र बताया गया है, जो शामली जिले के कुढ़ाना गांव का निवासी है। आरोपी बीते दो-ढाई वर्षों से फर्जी एमबीबीएस डिग्री के आधार पर अल्ट्रासाउंड सेंटर में सेवा दे रहा था।
फर्जी एमबीबीएस डॉक्टर का पर्दाफाश
स्वास्थ्य विभाग को इस सेंटर की शिकायत जिलाधिकारी मैनपुरी के पास प्राप्त हुई थी। जांच के लिए सीएमओ ऑफिस से नोडल अधिकारी डॉक्टर सुरेंद्र सिंह को नियुक्त किया गया, जिन्होंने दस्तावेजों की गहन जांच की। जांच के दौरान सामने आया कि जिन संस्थानों से सुभाष चंद्र ने डिग्री और डिप्लोमा प्राप्त करने का दावा किया है, वहां उनका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। यह पुष्टि होने के बाद राज अल्ट्रासाउंड सेंटर को अवैध घोषित कर दिया गया।
डॉ. सुभाष चंद्र के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर ही इस अल्ट्रासाउंड सेंटर का रजिस्ट्रेशन स्वास्थ्य विभाग ने लगभग एक साल पहले मंजूर किया था। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह रजिस्ट्रेशन फर्जी डिग्री के आधार पर ही कराया गया था। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही पर भी अब सवाल उठ रहे हैं कि बिना गहन जांच के कैसे सेंटर को लाइसेंस जारी कर दिया गया।
आरोपी डॉक्टर गिरफ्तार, सेंटर पर मचा हड़कंप
नोडल अधिकारी की तहरीर के आधार पर सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोतवाली प्रभारी फतेह बहादुर सिंह ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पूछताछ में डॉ. सुभाष चंद्र ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उसने फर्जी एमबीबीएस डिग्री करीब 80 लाख रुपए में खरीदी थी। उसने नोएडा के एक डॉक्टर को यह रकम किस्तों में लगभग 20 बार में दी थी। पुलिस अब इस नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है ताकि इस डिग्री रैकेट का पर्दाफाश हो सके।
सीओ सिटी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि 4 अगस्त को नोडल अधिकारी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर यह कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे मामले ने न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं, बल्कि आम जनमानस की सुरक्षा पर भी बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है। यदि समय रहते यह खुलासा नहीं होता, तो मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ जारी रहता।