गाजियाबाद में हाउस टैक्स वृद्धि के खिलाफ पार्षदों का प्रदर्शन तेज, 50 से अधिक पार्षदों ने की मेयर से मुलाकात

पार्षदों ने इसे ‘तानाशाही फैसला’ करार देते हुए कहा कि ऐसे फैसलों से आम लोगों का भरोसा नगर निगम पर से उठता जा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 20 June 2025, 1:57 PM IST
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गाजियाबाद: नगर निगम द्वारा हाउस टैक्स में की गई बढ़ोतरी के खिलाफ पार्षदों का विरोध अब तेज हो गया है। गुरुवार को 50 से अधिक पार्षद एकजुट होकर नगर निगम मुख्यालय पहुंचे और मेयर सुनीता दयाल से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया। पार्षदों ने इस निर्णय को एकतरफा और जनविरोधी करार देते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, पार्षदों ने कहा कि हाउस टैक्स में यह बढ़ोतरी बिना किसी पारदर्शिता और सदन में चर्चा के की गई है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम प्रशासन ने एकतरफा फैसला लेकर जनता पर आर्थिक बोझ डाल दिया है। पार्षदों ने इसे ‘तानाशाही फैसला’ करार देते हुए कहा कि ऐसे फैसलों से आम लोगों का भरोसा नगर निगम पर से उठता जा रहा है।

विशेष सदन बैठक बुलाने की मांग

पार्षदों की सबसे प्रमुख मांग है कि इस विवादास्पद टैक्स वृद्धि पर चर्चा के लिए नगर निगम में तत्काल विशेष सदन बैठक बुलाई जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की वित्तीय नीति पर निर्णय लेने से पहले सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से राय ली जानी चाहिए। पार्षदों ने स्पष्ट किया कि जब तक बैठक नहीं बुलाई जाती और टैक्स वृद्धि पर पुनर्विचार नहीं किया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

आर्थिक स्थिति का हवाला देकर जताई चिंता

विरोध जताने वाले पार्षदों का कहना है कि वर्तमान में आम जनता पहले ही महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक अनिश्चितता जैसी समस्याओं से जूझ रही है। ऐसे में हाउस टैक्स बढ़ाने का फैसला आम नागरिकों की मुश्किलें और बढ़ा देगा। कई पार्षदों ने कहा कि इस वृद्धि से निम्न और मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

मेयर से वार्ता में नहीं निकला समाधान

पार्षदों ने गुरुवार को मेयर सुनीता दयाल से औपचारिक मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मेयर से मांग की कि जनता के हितों को देखते हुए तुरंत हस्तक्षेप करें और टैक्स वृद्धि को स्थगित करें। हालांकि, मेयर की ओर से इस पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला। मेयर ने पार्षदों की बातों को सुना और कहा कि वह इस मुद्दे को संबंधित अधिकारियों और प्रशासन के समक्ष रखेंगी।

राजनीतिक हलचल भी तेज

इस विवाद ने गाजियाबाद की राजनीतिक सरगर्मियों को भी तेज कर दिया है। विपक्षी दलों ने भी नगर निगम पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस फैसले से स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन जनभावनाओं के प्रति असंवेदनशील हो गया है। कुछ पार्षदों ने संकेत दिया कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो वे आगामी सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर सकते हैं।

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