Chandauli Protest: भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का अनोखा प्रदर्शन, गंगा में खड़े होकर जताया आक्रोश

गांवों में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध अब और तेज़ होता जा रहा है। मामले की जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 29 May 2025, 3:02 PM IST
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चंदौली: जिले के मिल्कीपुर और ताहिरपुर गांवों में प्रस्तावित बंदरगाह और फ्रेट विलेज परियोजना के लिए किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध अब और तेज़ होता जा रहा है। रविवार को ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को नया रूप देते हुए गंगा नदी में खड़े होकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

डाइनमाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में माझी समाज के लोग शामिल हुए, जो परंपरागत रूप से मछली पालन और नाव चलाने से जीवनयापन करते हैं। मिल्कीपुर, ताहिरपुर, रसूलागंज और छोटा मिर्ज़ापुर गांवों की लगभग 60% आबादी माझी समाज से आती है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने साफ कहा कि अगर उन्हें इस भूमि से विस्थापित किया गया तो उनका जीवन पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।

ज़मीन बंदरगाह या फ्रेट विलेज देने से किया इनकार

प्रदर्शनकारियों ने कहा, “हमारी जीविका इसी नदी, नाव और मछली पर निर्भर है। अगर हमें यहां से उजाड़ा गया, तो हमारा परिवार भीख मांगने को मजबूर हो जाएगा। हम किसी भी कीमत पर अपनी ज़मीन बंदरगाह या फ्रेट विलेज के लिए नहीं देंगे।”

सरकार से इस परियोजना को तुरंत रद्द करने की मांग

ग्रामीणों की यह भी मांग है कि सरकार इस परियोजना को तुरंत रद्द करे और उन्हें उनके पुश्तैनी स्थान पर रहने दे। लोगों का कहना है कि बिना वैकल्पिक पुनर्वास योजना और आजीविका के साधनों के बिना ज़मीन अधिग्रहण करना पूर्णतः अन्यायपूर्ण है।

विरोध प्रदर्शन ये लोग रहे शामिल

इस विरोध में शामिल प्रमुख लोगों में ईशान मिल्की, डब्लू साहनी, वीरेंद्र साहनी, सुरेश कुमार, नीतीश साहनी, दलसिंगार साहनी, रामधनी साहनी, रामजी साहनी, पप्पू साहनी, शिवानंद साहनी, मनोज साहनी, दिलीप साहनी, विद्याधर जी, अखिलेश सिंह, चंद्र प्रकाश मौर्या, शिवम् साहनी, मनोहर साहनी, बबलू साहनी, अमरेश कुशवाहा, डा. विनोद कुमार और मिश्रिलाल सोनकर सहित कई अन्य ग्रामीण शामिल रहे।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार से की अपील

गंगा में उतरकर प्रदर्शन करना इन ग्रामीणों के विरोध की तीव्रता को दर्शाता है। स्थानीय लोग प्रशासन और सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर पुनर्विचार करें और जनभावनाओं का सम्मान करते हुए विकास की योजनाओं में मानवता और न्याय की भावना को प्राथमिकता दें।

आंदोलन का और व्यापक रूप लेने की संभावना

फिलहाल, प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थिति को देखते हुए यह साफ है कि यदि ग्रामीणों की आवाज़ को अनसुना किया गया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

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