नौतनवा में इस खाद विक्रेता के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा, यूरिया स्टॉक में बड़ा हेराफेरी, लाइसेंस भी सस्पेंड, मुश्किलें बढ़ी

जनपद के नौतनवा तहसील क्षेत्र अंतर्गत गनेशपुर स्थित श्याम खाद भण्डार (रिटेलर आईडी: 134367) पर खाद वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितता और हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 26 July 2025, 7:25 PM IST
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Maharajganj: जनपद के नौतनवा तहसील क्षेत्र अंतर्गत गनेशपुर स्थित श्याम खाद भण्डार (रिटेलर आईडी: 134367) पर खाद वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितता और हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है।
मौके पर यूरिया की अनुपलब्धता और ई-पश मशीन में दर्शाए गए स्टॉक में भारी अंतर मिलने के बाद रिटेलर मोहम्मदीन खान पुत्र छेदी खान के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 एवं भारतीय न्याय संहिता की अन्य सुसंगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

कैसे हुआ खुलासा

17 जुलाई 2025 को उप जिलाधिकारी नौतनवा द्वारा नौतनवा तहसील क्षेत्र के खाद दुकानों का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान श्याम खाद भण्डार बंद पाया गया। फोन पर बुलाए जाने के बाद रिटेलर मौके पर पहुंचे और दुकान खोली गई। भौतिक सत्यापन में दुकान में यूरिया का एक भी बैग नहीं मिला, जबकि पश मशीन पर 177 मैट्रिक टन यूरिया स्टॉक में दर्ज था।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जब रिटेलर से इस विसंगति पर पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी अनुपस्थिति में उनके कर्मचारी ने बिना ई-पश मशीन से स्टॉक खारिज किए ही यूरिया का वि

तरण कर दिया। रिटेलर द्वारा यह स्वीकारोक्ति लिखित रूप में भी दी गई।

लाइसेंस निलंबित, जिलाधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट

रिटेलर ने बिना कैश मेमो, बिना स्टॉक अपडेट और बिना वैध रसीदों के खाद का वितरण किया, जो कि उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की धारा 05 और 35 का स्पष्ट उल्लंघन है। इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए जिला कृषि अधिकारी द्वारा दिनांक 18 जुलाई को लाइसेंस निलंबित करते हुए रिटेलर से स्पष्टीकरण मांगा गया।

मुकदमा दर्ज, पुलिसिया जांच शुरू

जिलाधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर संयुक्त निदेशक अभियोजन की विधिक राय प्राप्त होने के बाद जिलाधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति प्रदान की। इसके तहत नौतनवा कोतवाली में मुकदमा अपराध संख्या 0066/2025 पंजीकृत किया गया है।

पुलिस इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है और उर्वरक वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इसे एक मॉडल केस के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन द्वारा इस प्रकार की अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई का संकेत साफ तौर पर मिल चुका है।

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