बुलंदशहर: भारतीय किसान यूनियन टिकैत के सैकड़ों पदाधिकारी और कार्यकर्ता बिजली विभाग के एससी कार्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन पर बैठ गए। किसान संगठन ने बिजली व्यवस्था की लचर हालत और खाद की भारी किल्लत को लेकर विभागीय अधिकारियों को घेरा और अपनी समस्याओं के त्वरित समाधान की मांग की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, धरना प्रदर्शन का नेतृत्व भाकियू टिकैत के जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने किया। उनका कहना था कि बीते 15 दिनों से जनपद में आई तेज आंधी और बारिश के कारण जगह-जगह बिजली के तार टूटे हुए हैं और बिजली आपूर्ति बुरी तरह बाधित है। बावजूद इसके बिजली विभाग की ओर से इन्हें ठीक करने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की जा रही है, जिससे किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
खेतों की सिंचाई के लिए बिजली जरूरी
किसानों ने बताया कि खेतों की सिंचाई से लेकर अन्य जरूरी कार्यों के लिए बिजली जरूरी है, लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते किसान बेहाल हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द बिजली व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।
एआर कोऑपरेटिव कार्यालय का किया घेराव
धरने के दौरान भाकियू टिकैत कार्यकर्ताओं ने बिजली विभाग के साथ-साथ एआर कोऑपरेटिव कार्यालय का भी घेराव किया। किसानों ने आरोप लगाया कि जिले की करीब 150 सहकारी समितियों में से 40 सोसाइटी ऐसी हैं जहां खाद उपलब्ध नहीं है। जिससे किसानों को खेती के जरूरी संसाधन समय पर नहीं मिल पा रहे हैं और उन्हें ब्लैक मार्केट से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
खरीफ सीजन की बुवाई प्रभावित
किसानों ने मांग की कि खाद की तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ताकि खरीफ सीजन की बुवाई प्रभावित न हो। इस मौके पर भारी संख्या में किसान एकजुट होकर प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।
अधिकारियों ने किसानों को किया आश्वस्त
धरना प्रदर्शन तब समाप्त हुआ जब मौके पर पहुंचे कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को आश्वस्त किया कि 24 घंटे के भीतर सभी संबंधित सहकारी समितियों में खाद की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी जाएगी। अधिकारियों ने यह भी भरोसा दिलाया कि बिजली की मरम्मत कार्य को तेजी से कराया जाएगा।
किसानों ने दी चेतावनी
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि दिए गए समय में समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो अगला आंदोलन और बड़ा होगा। फिलहाल अधिकारियों के आश्वासन पर भाकियू टिकैत ने अपना धरना समाप्त कर दिया, लेकिन चेतावनी के साथ कि अब किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

