सोनभद्र कोर्ट का बड़ा फैसला: जनवादी पार्टी अध्यक्ष समेत 9 को 17 साल पुराने केस में मिली सजा; जानें पूरा मामला

रॉबर्ट्सगंज तहसील परिसर में सरकारी जीप जलाने के मामले में कोर्ट ने 9 लोगों को दोषी ठहराया। जनवादी पार्टी अध्यक्ष समेत सभी को चार साल की सजा और 44 हजार रुपये का जुर्माना भुगतना होगा।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 17 July 2025, 9:13 AM IST
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Sonbhadra: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 17 साल पुराने सरकारी जीप जलाने के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जनवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान समेत नौ लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा सभी दोषियों पर 44 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड नहीं देने पर दो-दो महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

यह ऐतिहासिक फैसला बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनाया। मामला 27 मई 2008 का है, जब जनवादी पार्टी और अपना दल के संयुक्त जेल भरो आंदोलन के दौरान रॉबर्ट्सगंज तहसील परिसर में बवाल हुआ था।

क्या था पूरा मामला?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, 27 मई 2008 को जनवादी पार्टी और अपना दल के द्वारा आयोजित ‘जेल भरो आंदोलन’ के मद्देनजर पुलिस ने तहसील परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा तैनात की थी। उस समय रॉबर्ट्सगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक शफीक अहमद खां पुलिस बल और पीएसी के साथ मौजूद थे।

Indian Court Decision

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

करीब सवा एक बजे दोपहर में आंदोलन उग्र हो गया। जनवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान के उकसाने पर लाठी, डंडे, ईंट-पत्थर और देसी असलहों से लैस भीड़ ने पुलिस बल पर हमला कर दिया। इस हिंसक प्रदर्शन में एक दरोगा सहित कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि तहसील परिसर में खड़ी बीडीओ रॉबर्ट्सगंज की सरकारी जीप में आग लगा दी गई। देखते ही देखते जीप जलकर राख हो गई और पूरे तहसील व कचहरी परिसर में अफरा-तफरी मच गई।

गिरफ्तारी और चार्जशीट

घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मौके से जनवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान, जिलाध्यक्ष धर्मराज चौहान, महासचिव रामदुलारे सिंह चौहान, कल्लू चौहान, राधेश्याम चौहान, संजय चौहान, धर्मेंद्र चौहान, रामबदन चौहान और लक्टू चौहान को गिरफ्तार कर लिया। इनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।

कोर्ट का फैसला

मामले की लंबी सुनवाई चली। कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों, गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर सभी नौ आरोपियों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने यह माना कि सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाना, पुलिस पर हमला करना और अशांति फैलाना गंभीर अपराध है, जिससे शासन-प्रशासन की छवि को नुकसान होता है।

अंत में अदालत ने सभी दोषियों को चार-चार साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई और 44 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया। अर्थदंड अदा न करने पर दो महीने की अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश भी दिया गया है।

राजनीतिक हलकों में हलचल

इस फैसले के बाद जिले की राजनीति में हलचल मच गई है। जनवादी पार्टी के प्रमुख को सजा मिलने से पार्टी की साख पर असर पड़ सकता है।

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