गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां शहीदी दिवस; रायबरेली में निकली नगर यात्रा

सोमवार को रायबरेली के गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब धोबड़ी साहिब (आसाम) से शुरू हुई यह ऐतिहासिक यात्रा देश के कई नगरों से होती हुई आज रायबरेली पहुंची। यहां सिख समुदाय के लोगों ने नगर कीर्तन यात्रा का श्रद्धा और उत्साह के साथ स्वागत किया। श्रद्धालुओं ने गुरु के शौर्य, त्याग और बलिदान को याद करते हुए कीर्तन और अरदास की।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 3 September 2025, 1:24 AM IST
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Raebareli: रायबरेली में सिक्ख धर्म के नौवें गुरु और हिन्द की चादर कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी दिवस पर पूरे विश्व में श्रद्धा और भक्ति के साथ विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसी कड़ी में सोमवार को रायबरेली के गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब धोबड़ी साहिब (आसाम) से शुरू हुई यह ऐतिहासिक यात्रा देश के कई नगरों से होती हुई आज रायबरेली पहुंची। यहां सिख समुदाय के लोगों ने नगर कीर्तन यात्रा का श्रद्धा और उत्साह के साथ स्वागत किया। श्रद्धालुओं ने गुरु के शौर्य, त्याग और बलिदान को याद करते हुए कीर्तन और अरदास की।

यात्रा रायबरेली से प्रयागराज और अन्य प्रमुख पड़ावों की ओर बढ़ेगी तथा इसका समापन तख्त श्री केशगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब (रोपड़, पंजाब) में होगा। आयोजन समिति का कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत और उनके आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।

पुष्पेन्द्र सिंह, संयोजक ने बताया कि आसाम से शुरू हुई गुरु तेग बहादुर साहिब जी की यह यात्रा सोमवार को रायबरेली पहुंची थी यहां पर सिख समुदाय के संगठनों ने नगर कीर्तन का आयोजन किया शहर भर में भ्रमण करने के बाद ही है अपने अगले पड़ाव के लिए निकल गई है इस नगर कीर्तन का उद्देश्य सिख समुदाय के साथ-साथ सभी समुदाय के लोगों को सिख परंपरा व गुरुओं के त्याग के बारे में अवगत कराना है।

आपको बता दें सिख समुदाय के नौवें सिक्ख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर के सर्वाेच्च बलिदान की मानवता सदैव ऋणी रहेगी। उन्होंने धर्म, मातृभूमि और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। इसीलिए उन्हें ‘‘हिंद की चादर‘‘ के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया।
अद्वितीय तरीके से श्री गुरु तेग बहादुर ने हमें निडर होकर एक स्वतंत्र जीवन जीने की शिक्षा दी। मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा गुरू जी और उनके परिवार को भारी यातनाएं देने पर भी उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया, बल्कि उन्हें एक दिव्य शांति के साथ सहन किया। त्याग से तेग बहादुर में उनका परिवर्तन मानव इतिहास में परम धार्मिक दृढ़ता, नैतिकता और बहादुरी की अद्भुत कहानी है।

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