Gorakhpur: गोरखपुर के पीपीगंज थाना क्षेत्र के भुईधरपुर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें 19 वर्षीय खुशी यादव ने अपनी 60 वर्षीय दादी कलावती यादव की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी खुशी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है। खुशी ने पुलिस से की गई पूछताछ में बताया कि अपनी दादी की प्रताड़ना से तंग आकर उसने यह कदम उठाया। उसने कहा कि उसे अपनी दादी की हत्या का कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि उसने अपने जीवन के 18 साल नर्क बना दिए थे।
“कोई लड़का सेट कर ले, वही तुझे पैसे देगा”
लड़की ने पुलिस ने कहा, “मुझे अपना शुरुआती बचपन बहुत ज़्यादा याद नहीं है। बस इतना पता है कि मैं महज 2 साल की थी, जब मेरी मां मुझे लेकर बंगाल से गोरखपुर आ गई थीं। दादी हमेशा मुझे बंगालन कहकर बुलाती थीं। दादी ने पढ़ाई छुड़वा दी। मैं गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। पेन की जगह हाथ में हंसिया थमा दिया गया। कहतीं कोई लड़का सेट कर ले, वही तुझे पैसे देगा।”
कहां मिली थी दादी की लाश?
26 सितंबर को कलावती यादव की सिर कटी लाश उनके घर से करीब 500 मीटर दूर मिली। पुलिस ने जांच में पाया कि यह हत्या खुशी यादव ने की थी। पूछताछ में खुशी ने बताया कि उसकी दादी ने उसे हमेशा ताने दिए और उसकी जिंदगी को दुरूह बना दिया। खुशी का कहना था कि उसके दोनों भाईयों को घर में सम्मान और प्यार मिलता था, जबकि उसे हमेशा नजरअंदाज किया जाता। पढ़ाई की बजाय उसे खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया गया और कभी भी उसकी कोई कदर नहीं की गई।
दादी ने सही मार्ग पर चलने का मौका नहीं दिया
खुशी ने बताया कि जब वह 9वीं कक्षा में थी, तब उसने तय किया था कि वह पढ़ाई करेगी और कुछ बनेगी, लेकिन उसकी दादी ने उसकी पढ़ाई छुड़ा दी। खुशी को खेतों में काम करने के लिए भेजा गया और उसे ताने मारे गए। दादी ने हमेशा उसकी आत्म-सम्मान को चोट पहुंचाई और उसे कभी भी सही मार्ग पर चलने का मौका नहीं दिया।
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कैसे किया दादी का मर्डर?
25 सितंबर को खुशी और उसकी दादी के बीच फिर से तकरार हुई, जब दादी ने उसे फिर से ताने मारे और उसकी जिंदगी को और भी कठिन बना दिया। खुशी का कहना था कि वह इस गुस्से को दबा नहीं पाई और उसने गड़ासा उठाकर अपनी दादी पर हमला कर दिया। पहले एक वार गर्दन पर किया, फिर कई वार किए, जिससे उसकी दादी की मौत हो गई।
हत्या के लिए मां ने दिया बेटी का साथ
हत्याकांड के बाद खुशी की मां उत्तरा देवी ने उसकी मदद की। दोनों ने मिलकर लाश को बोरी में डाला और उसे गांव के बाहर फेंक दिया। अगले दिन पुलिस को घटना के बारे में जानकारी मिली और जांच शुरू की। पुलिस ने CCTV फुटेज और अन्य सुरागों को खंगाला, अंततः 17 दिनों बाद सच्चाई सामने आई और खुशी तथा उसकी मां को गिरफ्तार किया गया।
खुशी ने कबूल किया अपराध
12 अक्टूबर को जब पुलिस ने खुशी और उसकी मां को थाने बुलाया तो पूरे गांव में हंगामा मच गया। खुशी ने अपना अपराध कबूल किया और बताया कि अब उसके जीवन में कुछ भी बचा नहीं है। वह अपने भविष्य को खो चुकी है। जेल में पहली रात खुशी पूरी तरह से जागते हुए गुजार रही थी, उसकी मां उसे समझाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन खुशी ने किसी से बात नहीं की।
खुशी की मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश
पुलिस ने बताया कि खुशी और उसकी मां को महिला बैरक में रखा गया है और खुशी की काउंसलिंग भी करवाई जाएगी। जेलर अरुण कुमार ने यह भी बताया कि नए बंदियों की निगरानी के साथ खुशी की मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश की जाएगी।