AI Training: Apple की AI में बड़ा खुलासा; जानिए बिना असली डेटा कैसे हो रही मॉडल ट्रेनिंग?

Apple की नई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि कंपनी अपने AI मॉडल्स को बिना असली यूज़र डेटा के कैसे ट्रेन करती है। प्राइवेसी के कारण Apple AI रेस में प्रतिस्पर्धियों से पीछे चल रहा है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 29 July 2025, 9:03 AM IST

New Delhi: Apple की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रणनीति को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। कंपनी ने हाल ही में एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि उसके AI मॉडल कैसे तैयार किए जाते हैं और कम डेटा के बावजूद ये मॉडल प्रभावी तरीके से कैसे काम करते हैं। जहां Google और OpenAI जैसे प्रतिस्पर्धी कंपनियां बड़े पैमाने पर यूज़र डेटा का इस्तेमाल कर अपने AI को ट्रेन कर रही हैं, वहीं Apple अपनी सख्त प्राइवेसी पॉलिसी के चलते एक अलग ही रास्ता अपना रहा है।

डेटा की कमी बनी सबसे बड़ी चुनौती

Apple हमेशा से प्राइवेसी को प्राथमिकता देती आई है। इसी नीति के कारण कंपनी को अपने AI मॉडल ट्रेन करने के लिए पर्याप्त मात्रा में यूज़र डेटा नहीं मिल पाता। यही वजह है कि Apple को Siri जैसे AI फीचर को पूरी तरह से विकसित करने और लॉन्च करने में देरी हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, Siri का नया वर्जन 2026 तक टाल दिया गया है।

कैसे तैयार होते हैं Apple के AI मॉडल?

Apple ने दो तरह के AI मॉडल विकसित किए हैं-

ऑन-डिवाइस मॉडल, जो iPhone और iPad जैसे डिवाइसेज़ पर काम करते हैं।

क्लाउड-बेस्ड मॉडल, जो कंपनी के विशेष ‘Private Compute Cloud’ पर रन होते हैं।

इन दोनों मॉडल्स को ट्रेन करने के लिए Apple मुख्य रूप से सिंथेटिक डेटा का इस्तेमाल करता है। यह डेटा असली यूजर इंटरैक्शन पर आधारित नहीं होता, बल्कि AI द्वारा जनरेट किया गया होता है। इसके अलावा, कंपनी डिवाइस एनालिटिक्स का भी प्रयोग करती है, लेकिन केवल उन्हीं डिवाइसेज से जहां यूज़र्स ने इसकी अनुमति दी हो।

OpenAI और Google से बढ़ता फासला (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

AI प्रोसेसिंग की खासियत: पूरी तरह प्राइवेट

Apple की AI रणनीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसका ज़्यादातर प्रोसेसिंग काम डिवाइस पर ही होता है। यानी कई AI फीचर्स बिना इंटरनेट या क्लाउड सर्वर की मदद के, सीधे iPhone या iPad पर प्रोसेस किए जाते हैं। यह यूज़र की प्राइवेसी के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

हालांकि, जैसे ही यूजर ChatGPT या Google Gemini जैसी बाहरी AI सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, उनका डेटा उन कंपनियों के सर्वर पर प्रोसेस होता है, जिस पर Apple का कोई नियंत्रण नहीं होता।

कमज़ोरी का कारण बना प्राइवेसी का पालन?

Apple की रिपोर्ट यह भी स्वीकार करती है कि रियल-वर्ल्ड डेटा की कमी के कारण कई बार उनके AI मॉडल यूज़र के इनपुट को सही ढंग से समझ नहीं पाते। यही वजह है कि Siri जैसे फीचर्स अभी सीमित क्षमता में ही काम कर रहे हैं। Apple अपने प्रतिस्पर्धियों- जैसे OpenAI, Google और Meta से इस मामले में पीछे है क्योंकि इन कंपनियों के पास अरबों यूज़र्स का ओपन डेटा एक्सेस है।

क्या AI रेस में पिछड़ता जा रहा है Apple?

WWDC 2025 में भी Apple ने AI फीचर्स को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की थी, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि कंपनी इस रेस में कितनी गंभीर है। अब उम्मीद है कि 2026 में Apple कोई बड़ी रणनीति लेकर आएगा और Siri सहित अपने AI प्लेटफॉर्म को नए स्तर पर ले जाएगा।

यदि ऐसा नहीं हुआ, तो OpenAI और Google जैसी कंपनियों से मुकाबला करना Apple के लिए और भी मुश्किल हो सकता है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 29 July 2025, 9:03 AM IST