Khesari Lal in Ek Mulqat: देखिये भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार खेसारी लाल का धमाकेदार इंटरव्यू मनोज टिबड़ेवाल आकाश के साथ
देश के चर्चित टॉक शो ‘एक मुलाक़ात’ के इस बार हमारे मेहमान हैं भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार खेसारी लाल यादव। वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के साथ बातचीत में केसारी लाल ने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी और अपने जीवन संघर्ष से लेकर सफलता के शिखर तक पहुंचने का पूरा सफर साझा किया। देखिये खेसारी लाल का धमाकेदार इंटरव्यू
नई दिल्ली: देश के चर्चित टॉक शो ‘एक मुलाक़ात’ में इस बार वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के सामने हैं भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार और सुर सम्राट खेसारी लाल यादव।
डाइनामाइट न्यूज़ के इस खास कार्यक्रम में खेसारी लाल ने अपने जीवन और फिल्मों से जुड़ी कई बातें पहली बार साझा की। इसके साथ ही उन्होंने अभनेत्री अक्षरा सिंह, अभिनेता पवन सिंह समेत अन्य स्टार्स के साथ अपने रिश्तों के बार में भी खुलकर बात की।
भोजपुरी सिनेमा जगत के सबसे बड़े सितारे, अभिनेता, गायक और मॉडल खेसारी लाल ने डाइनामाइट न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ मनोज टिबड़ेवाल आकाश के साथ इस इंटरव्यू में अपनी आगामी फिल्मों और योजनाओं का भी खुलासा किया।
जीवन परिचय
खेसारी लाल का जन्म बिहार के छपरा जिले में 15 मार्च 1986 को हुआ है। एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी संघर्ष और चुनौतियों से बिना घबराये कैसे देश में अलग मुकाम बनाया जाय, अत्यंत सफल हुआ जाये..इसके सबसे बड़े उदाहरण आज के दौर में खेसारी लाल हैं। कम समय में सौ अधिक फिल्में करने और 5000 से अधिक गानों को गाने का रिकार्ड बना चुके खेसारी भोजपुरी के अलावा हिंदी, अवधी और हरियाणवी भाषा में भी फिल्में कर चुके हैं।
गायकी के क्षेत्र में इन्होंने वर्ष 2000 में पैर रखा और फिल्मों में बतौर अभिनेता 2011 में। 2012 में रिलीज़ हुई फिल्म 'साजन चले ससुराल' ने इन्हें रातों-रात भोजपुरी फिल्मों का मेगा-स्टार बना दिया, इसके बाद इन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। खेसारी फिटनेस के मामले में देश के लाखों युवाओं के रोल माडल हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में करोड़ों नौजवान इनके दीवाने हैं। इनके पिता का नाम मंगरु लाल है। कम ही लोग जानते हैं कि खेसारी का असली नाम शत्रुघ्न कुमार है। ये अपनी पत्नी चंदा देवी को अपने लिए लकी चार्म मानते हैं। इनको एक पुत्र तथा एक पुत्री है। गरीबी के दिनों में इन्होंने बहुत संघर्ष किया है। दिल्ली के ओखला इलाके में परिवार के साथ ठेले पर लिट्टी-चोखा लगाकर इन्होंने बेचा है लेकिन कभी भी अपने सपनों को खेसारी ने मरने नहीं दिया। इनका लौंडा नाच देश भर में काफी चर्चित है। आज हम खेसारी से इनके जीवन के संघर्षों, सफलता और भविष्य के प्लान के बारे में विस्तार से बातचीत करेंगे।
पूरा इंटरव्यू
खेसारी आपका डाइनामाइट न्यूज़ के बेहद लोकप्रिय टॉक-शो एक मुलाकात में बहुत-बहुत स्वागत है।
सवाल: आपका असली नाम शत्रुघ्न कुमार है तो फिर आप खेसारी कैसे बन गये?
जवाब: मैं जब गांव में था तब शत्रुघ्न था। जब मैं ब्यास लोगों के साथ घूमने लगा, ज्यादा बोलने लगा तो लोगों ने मेरा नाम खेसारी रख लिया। गायकी के क्षेत्र आने के बाद जब मैं अपनी पहचान ढूंढ रहा था तो उस समय मुझे भी लगा कि अब मेरी पहचान खेसारी के नाम से हो। तबसे मैं दुनिया के सामने खेसारी लाल के रूप में हूं। दुनिया अब मुझे इसी नाम से जानती है और मैं भी दुनिया के सामने खुद को इसी नाम के साथ सामने रखता हूं।
सवाल: आप अपने परिवार के बारे में कुछ बतायें, कौन-कौन है आपके परिवार में?
जवाब: मम्मी हैं, पाप हैं, चाचा हैं। चाचा के तीन लड़के हैं। हम चार भाई हैं। हम कुल सात भाई है। बाकी सभी भाइयों की पत्नी है। भतेजे, भतीजियां हैं। कुल मिलाकर 40-45 लोगों का हमारा परिवार है।
सवाल: आपने लोकप्रियता के शिखर को तो छू लिया लेकिन कभी भी अपने परिवार और अतीत को नहीं भूले?
जवाब: मुझे भूलने के लिये थोड़ी इस जगह आना था। मुझे तो पूरी दुनिया को लेकर चलना था। मैं जब पूरी दुनिया को लेकर चल सकता हूं तो परिवार को, पूरे 45 लोगों को को क्यों नहीं। जहां से मैं निकला हूं, यदि उसी को मैं भूल जाऊंगा तो मेरे जीने का कोई मतलब नहीं। मैंने उन्हीं के लिये इतना संघर्ष किया। आज इस सुख में यदि वे नहीं रहेंगे तो इस सुख का कोई मतलब नहीं। इसलिये मैं कोशिश करता हूं कि पूरे परिवार को साथ लेकर चला जाये।
सवाल: हमारी रिसर्च टीम ने आपके बारे में बताया कि आपका शुरूआती जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा। अपने संघर्ष के दिनों के बारे में हमारे दर्शकों को विस्तार से बतायें?
जवाब: देखिये संघर्ष के बिना किसी सफलता के कोई मायने नहीं हैं। मेहनत के दो पैसे हाथ में आते हैं तो उसका कोई मतलब होता है। लेकिन मुझे लगता है कि मेरी गरीबी ही मेरी असली ताकत है। मेरे पास करने के लिये बहुत कुछ था। मेरे पास न गाड़ी थी, न घोड़ा था, न कपड़े थे, न खाना था। कुछ नहीं था। रोड पर जिंदगी थी। अपने लिये रोड भी बनानी थी। अपने लिये घर भी बनाना था। गाड़ी भी चाहिये थी और खाना-पीना भी। मुझे गरीबी ने ही ताकतवर बनाया। गरीबी न होती तो ये ऊर्जा मेरे अंदर आती नहीं। उस गरीबी से ही प्रेरणा लेकर मैंने खुद को यहां तक पहुंचाया। बहुत सारी जगहों पर मैंने लिट्टी बेची, दूध बेचा। लोगों के घर में नौकर भी रहा। बहुत सारी चीजें हुई। फिर मुझे लगा कि जीवन इतना आसान नहीं है और जो आसान है, वो जीवन नहीं है। जो मुश्किल होता है, वहीं दुनिया को समझ में आता है। मुश्किलों, कठिनाइयों से जो खुद को संवारता है, वही असली इंसान होता है।
सवाल: तो लाइफ ने कैसे यू टर्न ले ली?
जबाव: यू टर्न नहीं आया। मैं काम करता गया। मैं कुछ बनने के लिये काम नहीं किया। मैं काम करता गया। मुझे रास्तों का भी पना नहीं था। केवल काम करने की इच्छा थी। लोग मिलते गये। कारवां बनता गया। पहले मैं अकेले था। फिर भीड़ में शामिल हुआ। एक दिन ऐसा आया कि उस पूरी भीड़ को अपना बना लिया। अब उस भीड़ को सम्मानित करता हूं और उनका प्यार पाता हूं।
सवाल: आपके रिश्ते साथी कलाकारों के साथ कैसे हैं?
जवाब: मेरे उनके साथ बहुत प्यारे रिश्ते हैं। मेरे रिश्ते किसी के साथ खराब नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर एक इंसान के रूप में हमेशा उनके साथ रिश्ते में रहता हूं। लेकिन एक कंपटिटर के तौर पर वे हमेशा मेरे कंपटीटर हैं। प्रोफेशन अलग चीज है लेकिन मेरे रिश्ते व्यक्तिगत तौर पर कभी किसी से खराब नहीं है। न ही मुझे खराब करना है और न ही खराब करना चाहता हूं।
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सवाल: बीच में हमने सुना कि पवन सिंह के साथ कुछ कंट्रोवर्सी हुई, आजकल सुना जा रहा है सब ठीक है, तो फिर मिस-अंडरस्टैंडिंग कहां हुई थी?
जवाब: वो बचपना था। वो मैच्यूरिटी नहीं थी। आदमी कुछ बोल-कह जाता था। लेकिन आज समझ चीजें आई। आदमी मैच्योर हुआ। चीजों को समझने लगा कि वे बड़े भाई है। कभी उनकी बात मुझे तो कभी मेरी बात उनको लग जाती थी तो आदमी एक-दूसरे के लिये बोल देता था। वो बड़े भाई के तौर पर कभी कुछ कह दिये तो कह दिये। उनको भी लगता है छोटे भाई के तौर पर कभी मैंन कुछ कह दिया तो कोई बात नहीं। हम एक-दूसरे को समझ गये। एक-दूसरे के पास गये। मुझे फिर पता चला कि वे कितने प्यारे हैं। वे मेरे पास आये तो उन्हें पता चला कि मैं कितना प्यारा हूं। उसके बाद मैंने डिसाइट किया कि नहीं, अब कुछ बोलना नहीं है।
सवाल: और अक्षरा सिंह के साथ...आपके प्रोफेशनल संबंध कैसे हैं?
जवाब: अक्षरा सिंह हमारी इंडस्ट्री की बेहतरीन एक्ट्रेस है। वे बहुत प्यारी अभिनेत्री है। उन्होंने भोजपुरी को बहुत कुछ दिया। मेरे जीवन में उनका भी योगदान है। वे मेरी सीनियर हैं। वे सिनेमा में पहले से थी और मैं बाद में आया। जो चीजें मेरी माइनस में थी, उन्होंने मुझे उसके बारे में बताया भी। हम बाद एक-दूसरे के बेहतर दोस्त बन गये। साथ में काम भी किया। आज वे अपने जीवन में बहुत खुश हैं। मैं अपने जीवन में बहुत खुश हूं।
सवाल: आप अपना रोल मॉडल किसे मानते हैं?
जवाब: इस इंडस्ट्री में सभी रोल मॉडल है। सभी अच्छा काम कर है। हर किसी से मैंने कुछ न सीखा है और हर किसी ने मुझे सिखाया है। चाहे मनोज भैया हों, दिनेश भैया हों, रवि जी हों या पवन भैया हों। सब लोगों ने कुछ न कुछ सिखाया है क्योंकि मैं सबके बाद में आया। मुझे सभी से सीखने को मिला। सभी ने मुझे सिखाया। इस मामले में मैं खुद को लकी मानता हूं। सभी से सीखकर इतने अनुभवी लोगों के बीच मैने खुद को पेश किया और लोगों ने मुझे प्यार किया।
सवाल: आपने अभी चार नाम लिये। इन चारों की तरह क्या आप भी राजनीति में जाने का सोचते हैं?
जवाब: मेरा अभी राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है। मैं कलाकार बनकर रहना चाहता हूं। कलाकार हर का होता है। हर भाषा, हर मजहब, हर क्षेत्र, हर जाति का होता है। लेकिन नेता बनने के बाद आप एक खास क्षेत्र के हो जाते हो। अगर कोई सांसद या विधायक किसी जगह का है तो वो वहीं का विकास करेगा। लेकिन मुझे लगता है कि मैं भोजपूरी समाज और भाषा के लिये काम कर रहा हूं। अभी चार भाई राजनीति में है। वे करते रहें। उनके पीछे-पीछे देखेंगे कि आगे क्या होता है। कल क्या होगा पता नहीं। कोशिश है कि जो आज हो रहा है उस पर काम करके उसे बेहतर किया जाये।
सवाल: ऐसे कौन से नाम आपके दिमाग है, जो आने वाले समय में भोजपुरी सिनेमा के चमकते सितारे हो सकते हैं?
जवाब: ऐसे बहुत सारे लोग है। लेकिन मेहनत करने पर वे अपने आपको कितने लोगों के बीच पहुंचा पाते है। हर आदमी चाहता है कि वो बड़ा हो जाये। भोजपुरी में जितने लोग आएंगे, भोजपुरी उतनी ही बड़ी होगी।
सवाल: भोजपुरी देश के बहुत बड़े हिस्से में बोली जाती है लेकिन भोजपुरी को अभी तक संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है? क्या लगता है, कहां कमी रह गई इसमें?
जवाब: एक कलाकार अपनी भाषा के लिये गीत गा सकता है। सिनेमा बना सकता है। भाषा को प्रजेंट कर सकता है। मुझे लगता है कि ये काम सरकार का है। हमारे जो भाई है, मुझे लगता है कि ये बात उनको संसद में उठानी चाहिये। सरकार चाहे तो तभी ये भाषा 8वीं अनुसूची में शामिल हो सकती है। हम तो अपनी भाषा का बेहतर साउंड, बेहतर सिनेमा और कॉन्सेप्ट के लिये ही प्रयास कर सकते हैं।
सवाल: भोजपुरी फिल्मों के कंटेट पर अक्सर सवाल उठाये जाते हैं। निर्माता-निर्देशकों पर भोजपुरी की महान विरासत और संस्कृति को भूलने के आरोप लगते हैं। क्या कहना है आपका इस पर?
जवाब: मुझे लगता है कि इसका एक बड़ा कारण बिहार-यूपी या अन्य जगहों का पलायन है। यूपी, बिहार, झारखंड का पलायन केवल लोगों का पलायन नहीं बल्कि अपनी भाषा का भी पलायन है। परिवार का बच्चों के साथ पलायन से भाषा का भी पलायन हो रहा है। इससे भोजपुरी सुनने वालों की संख्या घट रही है। आज की जनरेशन हिंदी की तरफ भाग रहा है। अंग्रेजी की फिल्में देख रहा है। क्योंकि उनकी पढ़ाई, लिखाई, शिक्षा आदि अपनी भाषा से हटकर हो रही है। इसलिये आप कितना बेहतर भी करेंगे, उसे नहीं देखेंगे, ऐसे लोग उस कल्चर को जान नहीं पाएंगे। आज की जनरेशन हमारी कल्चर को बहुत कम जान पा रही है।
सवाल: जैसे सलमान खान फिल्मों में नयी अभिनेत्रियों को मौका देते हैं वैसे ही आप भी फिल्मों में नयी-नयी हीरोईनों को मौका देते हैं...
जवाब: मैं ऐसा इसलिये करता हूं, ताकि भोजपुरी इंडस्ट्री में लोग बढें, यह बड़ी हो। यहां जितने लोग आएंगे, जितने कलाकार आएंगे, ये उतनी बड़ी होगी। यहां यूपी बिहार की कम एक्ट्रेस है। यहां बाहर की अभिनेत्रियां भी बहुत है। कोई बंगाल की है, कोई नेपाल की है। कोई गुजरात की है। हमारा प्रयास रहता है कि जितने कलाकार बढ़ेंगे, हमारा भाषा का उतना ही विकास होगा। कला से भाषा विकास होता है।
सवाल: अभी किन-किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, आने वाले दिनों में आपकी कौन-सौन सी फिल्में आने वाली हैं?
जवाब: अभी मेरी लगातार फिल्में है, जो रिलीज पर है। रिश्ते हैं। रंग दे बंसती जो अभी रिलीज हुई बहुत बड़े लेवल पर। ये 263 सिनेमा हाल में रिलीज हुई। मॉल में हम सिनेमा लगाते भी हो तो लोगों को ये पता ही नहीं कि भोजपुरी हमारी मॉल में. मल्पटीपलेक्स में भी लगती भी है। और भी है। अंदाज है, दंश है। मेरी 4-5 फिल्में रिलीजिंग पर है। फिल्म राजा राम भी है। बहुत सारी फिल्में रिलिजिंग और कई सारी प्लानिंग में है।
सवाल: आपने अपनी नई फिल्म राजा राम की चर्चा की। आप भगवाम राम के भक्त हैं। इस फिल्म के बारे में दर्शकों को कुछ बताएं?
जवाब: फिल्म राजा राम भगवान राम के ऊपर नहीं बल्कि एक कलाकार के ऊपर है। ऐसा कलाकार, जो राम का किरदार कर लेता है और लोग उसे राम मानने लगते हैं। इससे उसकी पर्सनल जिंदगी बड़ी अजीब हो जाती है। वो इसके बाद कहीं कुछ खा नहीं सकता। पी नहीं सकता। इसको लेकर ही इस फिल्म की कहानी है। ये अरूण गोविल जी के जीवन की कहानी है। एक किरदार से लोगों को कितना प्यार हो जाता है और कलाकार उसको समझ नहीं पाता। लोगों ने भगवान को तो देखा नहीं लेकिन कलाकार के अंदर ही लोगों ने भगवान को देख लिया। कलाकार को ही लोगों ने भगवान मान लिया। ये कहानी इसके ही ऊपर है कि एक कलाकार की जिंदनी कितनी कठिन होती है। वो अपनी जिंदगी जी ही नहीं सकता।
सवाल: बालीवुड की हिंदी फिल्में करने की कोई योजना आपकी?
जवाब: अभी ऐसी कोई योजना नहीं है। इसके पीछे की वजह ये है कि यदि ऐसा ही साउथ इंडस्ट्री वाले सोचते तो उनकी इंडस्ट्री इतना बड़ी नहीं होती। हम यही प्रयास कर रहे हैं कि भोजपुरी इंडस्ट्री को इतना बड़ा कर दें कि साउथ की तरह हम भी रिच हो जाएं। हमारी भाषा से लोगों को प्यार हो जाये।
सवाल: आपने बहुत सारी फिल्में की है। लेकिन आपकी नजर में अब तक की आपकी एक-दो सबसे सफल फिल्में कौन सी रही?
जवाब: मेरी ऐसी बहुत सारी फिल्में हैं, जो मेरी नजर में बेहतर है। सबसे पहले तो मैं अपनी पहली फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ का ही नाम लूंगा। ये शानदार है, इससे मेरे जीवन की शुरूआत हुई। ‘दिल ले गई ओढ़नयिया वाली’ भी बाहतरीन थी। ऐसी अनगिनत फिल्में हैं। मैं कौशिश करता हूं कि पारिवारिक फिल्म ही बनाई जाये। ऐसी फिल्में, जिनको मैं अपनी बेटी, मां और परिवार के साथ बैठकर देख सकूं। अपने कल्चर और भाषा को लेकर, सभी को साथ लेकर फिल्में बनाने की कोशिश करता हूं। जिंदगी में वैरियेशन होने चाहिये। कई बर लोग वैरियेशन को अश्लील बोल देते हैं। हम ट्रैडिशनल भी गाते हैं लेकिन लोगों की उस पर नजर नहीं होती। लेकिन कभी कोई द्विअर्थी गा लेता है तो उस पर लोगों की नजर हो जाती है।
सवाल: और यदि गानों का बात करें तो?
जवाब: गानों में भी यही कोशिश रहती है कि अपनी भाषा संस्कृति को बढ़ावा मिले। लेकिन एक बात कहना चाहूंगा कि हर पेड़ फल नहीं देता, उसी तरह हर गीत ट्रेडशिनल नहीं होता।
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सवाल: बहुत सारे नौजवान आपकी तरह भोजपुरी इंडस्ट्री में सफल होना चाहते हैं। गांव में बैठा कोई बच्चा ये प्रोग्राम देख रहा है तो उसे सफल होने के लिये क्या करना चाहिये?
जवाब: सबसे पहले उसको खुद पर काम करना चाहिये। उसे खुद को बड़ा करना चाहिये। स्ट्रगल करना चाहिये। क्योंकि कोई आपको कोई एक दिन, दो दिन चांस दे देगा। लेकिन यदि उसमें कोई दम नहीं होगा तो उसे कोई कितनी बार चांस देगा। सबसे पहले आप खुद को तपाइये। आप लोहा है, तपिये और जलिये। कोई न कोई आपको हथियार बना लेगा।
सवाल: भोजपुरी फिल्मों का निर्माण केंद्र और प्रोडक्शन हब मुंबई ही बना हुआ है। यूपी-बिहार में क्या संभावनाएं है। यहां फिल्मों का निर्माण नहीं हो सकता है?
जवाब: देखिये, मैने पहले भी कहा कि कलाकार केवल कलाकार होता है। वह परफोर्म कर सकता है, एक्टिंग कर सकता है, गा सकता है। लेकिन जहां तक मुंबई की बात है तो वहां आज भी मराठी फिल्मों को मल्टीपलेक्स में लगाना जरूरी है। वहां की सरकार ने फैसला लिया कि आपको मल्टीपलेक्स में मराठी फिल्मों का एक शो जरूर दिखाना है। वहां मराठी फिल्मों का एक शो तो मल्टीपलेक्स वाले चलाते ही चलाते है। मैं ये कहना चाहता हूं कि ये सरकार का विषय है। सरकार व्यवस्था देगी तो हम यहां क्यों नहीं फिल्मों का निर्माण करेंगे। सरकार ऐसी व्यस्था करेगी तो हमें और भी अच्छा लगेगा। हम अपनों के ही बीच में अपनी चीजों को और बड़ा कर सकेंगे। सरकार जब चाहेगी यह तभी संभव है, हम तो केवल एक्ट ही कर सकते हैं
सवाल: सुना है कि समाज सेवा में आपकी काफी रुचि है, इसके बारे में कुछ बतायें?
जवाब: हां, मैं करता रहता हूं हमेशा। यदि में 10 रूपये कमाता हूं तो 4 रूपये लोगों की रक्षा और जरूरतों पर खर्च करता हूं। बाकी बहुत सारी चीजें है, जो मैं करता हूं।
सवाल: बेटियों के लिये भी कुछ करते हैं?
जवाब: बिल्कुल करता हूं। बेटियों की शादियां कराता रहता हूं। कोशिश होती है कि अपने लोगों के लिये, अपने समाज और राज्य के लिये लोगों के लिये जो कुछ संभव हो सके, वो सब करूं।
सवाल: भोजपुरी इंडस्ट्री का बाप है खैसारी, लोग जब ये बोलते हैं तो आपको कैसा लगता है?
जवाब: भोजपुरी इंडस्ट्री का बाप मैं नहीं हो सकता। भोजपुरी इंडस्ट्री ने मुझे बनाया है। भोजपुरी इंडस्ट्री नहीं होती, भोजपुरी भाषा नहीं होती तो मैं कैसे बनता। मैं भोजपुरी का एक हिस्सा हूं। इस नाते जो जिम्मेदारी मुझे मिली है, उसे अच्छे तरीके से निभाने की कोशिश करता हूं। ताकि भोजपुरी इंडस्ट्री, भाषा का कद और सम्मान बढे।
सवाल: आपका एक डायल़ग काफी चर्चित है, जीवन भर मेरी एक ही पत्नी रहेगी, दूसरी नहीं, क्या संदेश छिपा है इसके पीछे?
जवाब: शादी को एक ही बार होता है ना। मेरे कहने का मतलब है कि जीवन साथी हर आदमी का तो नहीं बना जा सकता। हर आदमी का जीवन चलाने के लिये आप मेहनत कर सकते हैं लेकिन जीवन साथी की जहां तक बात है तो ये तो एक ही होना चाहिये। मेरी मम्मी आज भी मेरे पापा के साथ है। जिस लाइन में हम है, वहां बहुत सारी चीजें होती है। लेकिन मुझे लगता है कि एक हद तक दोस्ती तक ठीक है। लेकिन मम्मी पापा के पसंद से जो शादी ब्याह हुई, हमने तब भी उसे स्वीकारा और आज भी स्वीकार करते हैं और आजीवन उसको ही स्वीकार करके चलना है। क्योंकि वो मेरी ताकत है। जब मैं कुछ नहीं था तो वो बेहतर थी। आज मैं बेहतर बना हूं तो वो ही बेहतर रहेगी। मेरे जीवन के सुख-दुख मैं वो ही है।
सवाल: क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे भी आपकी ही तरह फिल्मों में आएं?
जवाब: नहीं, मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चों की जो मर्जी हो, वे वो बने। जो उनको बनना होगा वो बने, मेरे दबाव में न बने। मैं अपने सपनों को अपने बच्चों पर क्यों थोपूं। मेरे पापा ने भी अपने सपनों को मेरे ऊपर नहीं थोपा।
सवाल: आपने अपने संघर्ष के बारे में बताया। आप संघर्ष के बाद सफल हो गये। कहते हैं जीवन हर कदम संघर्ष है। क्या स्टारडम पाने के बाद भी आपको लगता है किया क्या आप अब भी संघर्ष कर रहे हैं?
जवाब: हां, यहां आकर तो संघर्ष और भी बढ़ जाता है। देखिये, जब आप साइकिल से चलते हो। साइकिल से मार्केट जाते हो। अगर साइकिल पंचर होती है तो उसके बनाने में पांच रुपये ही लगते हैं। जब आप बड़ी गाड़ी से जाते हो और उस पर एक खरोच भी लगता है तो उसका तीन से चार लाख रुपये लगता है। इसी तरह, जिंदगी में जब आप सफल होते हैं तो बहुत सारी प्रॉबल्म आती है। ये सभी प्रॉबल्म नोटिस होती है। पहले जब कुछ भी करता था तो किसी को कोई पता नहीं चलता था। लेकिन आज खेसारी कुछ भी करता है तो लोगों को पता चलता है। आपकी जिम्मेदारियां और आपकी हर चीजों से लोगों को मतलब हो जाता है।
सवाल: यदि गांव में बैठा कोई युवा आपसे कनेक्ट होना चाहता है तो क्या सोशल मीडिया पर आपका कोई प्लेटफॉर्म है, जहां कोई आपसे जुड़ सकता है, राय मशवरा कर सकता है और मार्गदर्शन पा सकता है?
जवाब: बिल्कुल। अभी एक लड़की मेरे गाने पर हिट हुई है। उसका डांस मुझे बहुत प्यारा लगा। उस बच्ची से मैंने आज ही बात की। यदि आप बेहतर कर रहे हैं तो किसी न किसी की नजर आप पर पड़ेगी ही। आप सपोर्ट मत लो किसी का, आप अप्रोच मत लो किसी का। ये कोई नौकरी नहीं है। ये लोगों के दिल पर राज करने वाले काम हैं।
सवाल: सोशल मीडिया बड़ी ताकत बन चुका है। गांव और कई क्षेत्रों से जिन लोगों में कुछ कर गुजरने की ताकत है वे छोटे-छोट वीडियो बनाते है। सोशल मीडिया पर डालते हैं और हिट हो जाते हैं। ऐसे युवाओं-बच्चों से आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: देखिये तीस सैंकेंड की जिंदगी से आप दुनिया को नहीं जीत सकते। यदि आपको दुनिया पर राज करना है तो 30 घंटे काम करना होगा। रील में कोई अपनी प्रतिभा को 30 सैकेंड के लिये दिखा सकता है लेकिन जिंदगी 30 सैकेंड की नहीं है। जीवन 30 सैकेंड से आगे की चीज है। जो जगकर सपना देखता है, वही सफल होता है। जो सोकर सपना देखता है, उसे कुछ हासिल नहीं होता। मैं यही कहूंगा की 30 सैकेंड थोड़ी देर के लिये ठीक है लेकिन 30 सैकेंड से आप दुनिया पर विजय नहीं पा सकते हैं।
सवाल: चुनाव में आपकी डिमांड काफी बढ़ जाती है। सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के पक्ष में समय-समय पर प्रचार करते हैं। इस अनुभव के बारे में कुछ बताएं?
जवाब: मैं, इंडिपेंडेट हूं। सभी मेरे अपने हैं। मेरे लोगों से संबंध है। इसलिये जो मेरे लोग मुझे कहते हैं कि आओ मैं उनके लिये हमेशा तत्पर रहता हूं। मैं रात को भी जाकर उनका काम करता हूं। जहां मेरे संबंध होते हैं, वहां ये मायने नहीं रखता कि वो किस पार्टी से है। वो मेरे है, इस विषय पर मैं जाता हूं। मैं इंडिपेंडेंट हूं। लोग एक कलाकार के तौर पर मुझे बुलाती है। ऐसा नहीं कि मैं किसी पार्टी का हूं या किसी व्यक्ति विशेष का हूं। कलाकरा न तो किसी धर्म का होता है, नहीं किसी जाति का और नहीं किसी पार्टी का।
सवाल: आपने अखिलेश यादव का नाम लिया। उन्होंने आपको जन्मदिन की बधाई भी सोशल मीडिया पर दी। कैसे रिश्ते हैं अखिलेश जी के साथ आपके?
जवाब: ये उनका प्यार है अपने छोटे भाई के लिये। मैरे दिल में उनके प्यार का हमेशा सम्मान है। मैने उनको हमेशा बड़ा भाई माना लेकिन कभी उन्होंने एहसास नहीं होने दिया कि मैं उनका छोटा भाई हूं। ये छोटी-छोटी चीजें आपको ये बताती है कि किसी के दिल में आपकी कितनी अहमियत है। अखिलेश भैया से जब भी मिला हूं उन्होंने ये आभास नहीं होने दिया कि मैं उनका छोटा भाई हूं। एक कलाकार को इतना प्यार करने वाले ऐसे लोग मुझे बहुत कम मिले हैं। उनके पास जब भी मैं गया तो उन्होंने मुझे झुककर उठाया। लगता था कि वे मेरे राम हैं और मैं उनका लक्ष्मण। आपको जब लक्ष्मण वाला प्यार मिलेगा तो आप राम बना ही लोगे। आपको राम मिलेगा तो आप लक्ष्मण बन ही जाओगे। ये आप पर निर्भर करता है कि आप बनना क्या चाहतें है और आप अपने मन में किसी कितनी अहमियत रखते हैं। अखिलेश भैया से मुझे हमेशा सकारात्मक ऊर्जा मिली है। उन्होंने कबी ऐहसास नहीं होने दिया कि मैं बिहार से हूं। खेसरी हूं। उन्होंने मुझे ये आभास कराया कि वे मैरे बड़े भाई हैं और मैं उनका छोटा भाई।