Uttarakhand: बाघों की दहशत के बीच बिना बिजली के रह रहे ग्रामीण, अंधेरे और डर के साथ जीने को मजबूर

डीएन ब्यूरो

पौड़ी के डल्ला तथा आसपास के गांवों में बाघों की चहलकदमी और अक्सर गुम रहने वाली बिजली ने मिलकर लोगों का जीना हराम कर दिया है। एक ओर जंगली जानवर तो दूसरी ओर सूर्यास्त के बाद का अंधेरा लोगों को डरा रहा है।

बाघों की दहशत के बीच रह रहे ग्रामीण
बाघों की दहशत के बीच रह रहे ग्रामीण


पौड़ी: पौड़ी के डल्ला तथा आसपास के गांवों में बाघों की चहलकदमी और अक्सर गुम रहने वाली बिजली ने मिलकर लोगों का जीना हराम कर दिया है। एक ओर जंगली जानवर तो दूसरी ओर सूर्यास्त के बाद का अंधेरा लोगों को डरा रहा है।

गांवों में बिजली गुल रहने की समस्या कई-कई दिनों तक चलती है और यहां के निवासियों को लैंप और टॉर्च से काम चलाना पड़ता है।

एक ग्रामीण दर्शन सिंह रावत ने बताया, ‘‘जिला प्रशासन ने गांव में 10 सौर लाइटें लगवाई थीं लेकिन कभी—कभी ये भी पर्याप्त नहीं पड़तीं। जब तक बहुत जरूरी न हों, हम बाहर निकलने से परहेज करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल कटाई के लिए तैयार है लेकिन बाघ के डर से किसान खेतों में नहीं जा रहे हैं।

रावत ने कहा कि बाघ के हमले के डर से लोग खाद्यान्न और खाने का अन्य जरूरी सामान लेने के लिए निकटवर्ती गरियोपुल बाजार तक नहीं जा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक खतरा बना हुआ है तब तक प्रशासन को जरूरी सामान लोगों के घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

सुनीता देवी ने कहा, ‘‘बाघों के आसपास होने के डर से हम शांति से सो भी नहीं पा रहे हैं। हमने फैसला लिया है कि जब तक बाघ पिंजरों में कैद नहीं कर लिए जाते, तब तक हम अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।’’

डल्ला गांव के प्रधान खुशेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि ग्रामीणों ने क्षेत्र में तीन बाघों को घूमते हुए देखा है।

तीन दिनों में बाघ के हमले की दो घटनाओं के बाद क्षेत्र में वन अधिकारियों का जमावड़ा लग गया है जिससे ग्रामीणों को कुछ ढांढस बंधा है लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें राहत तभी मिलेगी जब बाघ पिंजरे में कैद होंगे।










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