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US Baseline Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने लागू किया 10% का बेसलाइन टैरिफ, वैश्विक व्यापार पर हो सकता है गहरा असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ का फैसला वैश्विक व्यापार के लिए एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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US Baseline Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने लागू किया 10% का बेसलाइन टैरिफ, वैश्विक व्यापार पर हो सकता है गहरा असर

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार रात से दुनिया में टैरिफ लागू कर दिया। जिसमें सभी देशों पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लागू करने का ऐलान किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता की रिपोर्ट के मुताबिक, जो 5 अप्रैल से अमेरिकी कस्टम अधिकारियों द्वारा वसूल किया जा रहा है। इसके साथ ही 57 देशों जैसे भारत, चीन और वियतनाम पर इससे भी ज्यादा टैरिफ लगाया जाएगा। जो 9 अप्रैल से प्रभावी होगा। यह कदम अमेरिका के व्यापारिक दृष्टिकोण में बड़े बदलाव का संकेत है। जो वैश्विक व्यापार व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।

10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ का आरंभ

ट्रंप के 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ की वसूली 5 अप्रैल से शुरू हो गई है। यह टैरिफ अमेरिकी बंदरगाहों, एयरपोर्ट्स और कस्टम वेयरहाउसों पर कल सुबह 12 बजे ईटी (भारतीय समयानुसार सुबह 09:31) से लागू हो गया। इसके तहत व्यापारिक सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, जो पहले की सहमति से तय टैरिफ दरों से कहीं ज्यादा होगा। इस फैसले के साथ ही ट्रंप ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के समय में आपसी सहमति से तय हुए टैरिफ रेट्स के सिस्टम को पूरी तरह नकार दिया है। जो वैश्विक व्यापार पर एक ऐतिहासिक मोड़ है।

व्यापार विशेषज्ञों की राय

एक रिपोर्ट के अनुसार, होगन लवेल्स के ट्रेड लॉयर और ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस की पूर्व व्यापार सलाहकार केली एन शॉ ने इसे "हमारे जीवनकाल का अब तक का सबसे बड़ा ट्रेड एक्शन" बताया है। शॉ ने कहा कि यह व्यापार के तरीके में एक बड़े बदलाव का संकेत है। जो अमेरिका और बाकी दुनिया के बीच व्यापार के पारंपरिक मानकों को चुनौती दे रहा है।

टैरिफ में बदलाव की संभावना

केली एन शॉ ने यह भी उम्मीद जताई कि समय के साथ टैरिफ में बदलाव संभव हो सकता है, क्योंकि कई देश अमेरिका के साथ टैरिफ दरों को कम करने के लिए बातचीत करने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया के व्यापारिक दृष्टिकोण में एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है और इसे एक नई दिशा में देखने की आवश्यकता है।

रेसिप्रोकल टैरिफ और बाजारों पर प्रभाव

ट्रंप ने 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया था, जिससे दुनियाभर के शेयर बाजारों में हलचल मच गई थी। इसके बाद शुक्रवार को S&P 500 की कंपनियों का कुल बाजार मूल्य 5 ट्रिलियन डॉलर तक घट गया। जो दो दिनों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके साथ ही क्रूड ऑयल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में भी गिरावट आई। निवेशक अब सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड और बॉन्ड्स की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है।

सबसे पहले इन देशों पर पड़ेगा असर

ट्रंप के 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ का सबसे पहला असर उन देशों पर पड़ेगा, जिनका पिछले साल अमेरिका के साथ व्यापार घाटा अधिक था। इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कोलंबिया, अर्जेंटीना और सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं। व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि अगर टैरिफ पॉलिसी निष्पक्ष होती तो इन देशों के साथ व्यापार घाटा घटाने के लिए कई अन्य देशों को भी इससे समान नुकसान होता।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

यह कदम न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी प्रभावित करेगा। कई देशों के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि बढ़े हुए टैरिफ के कारण उनके उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं और इससे उनका निर्यात मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा कई देशों को अब अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को फिर से प्राथमिकता देनी पड़ सकती है ताकि वे टैरिफ दरों में राहत हासिल कर सकें।

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