वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नामित को सुप्रीम कोर्ट से आया ये बड़ा फैसला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या वकीलों को शीर्ष अदालत एवं उच्च न्यायालयों में वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि देने संबंधी उसके 2017 के दिशानिर्देशों में किसी सुधार की जरूरत है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या वकीलों को शीर्ष अदालत एवं उच्च न्यायालयों में वरिष्ठ अधिवक्ता की उपाधि देने संबंधी उसके 2017 के दिशानिर्देशों में किसी सुधार की जरूरत है।

केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) के. एम. नटराज ने न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि 2017 के फैसले में पुनर्विचार की जरूरत है।

यह फैसला वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनाया गया था। उन्होंने पीठ को बताया कि वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करने में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और उसने फैसले की समीक्षा के लिए कोई याचिका दायर नहीं की है।

पीठ ने कहा, “तथ्य यह है कि अटॉर्नी जनरल ने पहले अदालत की सहायता की थी (जब मामला पहले सुना गया था)। ऐसा कोई मुद्दा नहीं उठाया गया कि यह उचित नहीं है। भारत सरकार ने कभी समीक्षा याचिका दायर नहीं की।”

पीठ में न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि अब उसके सामने मुद्दा यह है कि व्यवस्था को कैसे दुरुस्त किया जाए।

सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं विकास सिंह, अमन लेखी, पुनीत बाली और एएसजी माधवी दीवान सहित कई अन्य वकीलों की दलीलें भी सुनीं।

शीर्ष अदालत ने 16 फरवरी को कहा था कि इस स्तर पर वह केवल 2017 के फैसले से उपजे मुद्दे का समाधान करेगी जिसमें अब तक के अनुभव के आधार पर दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करने की छूट दी गई थी।

केंद्र की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने तब शीर्ष अदालत को बताया था कि वह अब तक के अनुभव को बताते हुए एक आवेदन भी दाखिल करेंगे।










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