स्वाति मालीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई पर रोक, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के विरूद्ध एक आपराधिक मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर शुक्रवार को रोक लगा दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के विरूद्ध एक आपराधिक मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर शुक्रवार को रोक लगा दी। यह मामला मालीवाल पर आयोग में विभिन्न पदों पर आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े लोगों की भर्ती में अपने पद के कथित दुरूपयोग से संबंधित है।

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भम्भानी ने सुनवाई अदालत में मालीवाल के विरूद्ध आरोप तय किये जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो से स्थिति रिपोर्ट तलब की है। न्यायमूर्ति भम्भानी ने टिप्पणी कि इस मामले में आर्थिक लाभ प्राप्त करने के कोई ‘‘अनिवार्य घटक’’ उपस्थित नहीं हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अदालत ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। मामले के प्रथम दृष्टया मत के अनुसार अदालत को इस बात का संज्ञान लेने के लिए संतुष्ट किया गया कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1)(डी)(2) के तहत अपराध का अनिवार्य घटक अर्थात कोई मूल्यवान वस्तु या आर्थिक लाभ प्राप्त किया जाना आरोपपत्र में उपस्थित नहीं है और आरोप के बारे में आदेश पर बारीकी से विचार किए जाने की आवश्यकता है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए अदालत के समक्ष मामले की अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता के विरूद्ध (निचली अदालत की) कार्यवाही पर रोक लगायी जाती है।’’

अदालत ने याचिका पर जवाब देने के लिए जांच एजेंसी को छह सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को तय की।

निचली अदालत ने आठ दिसंबर को मालीवाल एवं तीन अन्य के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1)(डी)(जन सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार) सहित विभिन्न सुसंगत धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया था।

इस मामले में अभियोजन पक्ष का कहना है कि आरोपियों ने एक दूसरे के साथ मिलकर षड्यंत्र रचते हुए अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग किया और आप कार्यकर्ताओं के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार आप कार्यकर्ताओं को समुचित प्रक्रिया का पालन किये बिना दिल्ली महिला आयोग के विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया।










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