Madhya Pradesh:‘सोलर मैन ऑफ इंडिया’ का तीन साल से सौर ऊर्जा से चलने वाली बस है आशियाना

डीएन ब्यूरो

‘सोलर मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने पिछले तीन साल से उस बस को अपना आशियाना बना रखा है जो सौर ऊर्जा से चलती है और जिसमें घर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सौर ऊर्जा से चलने वाली बस है आशियाना
सौर ऊर्जा से चलने वाली बस है आशियाना


इंदौर:  ‘सोलर मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने पिछले तीन साल से उस बस को अपना आशियाना बना रखा है जो सौर ऊर्जा से चलती है और जिसमें घर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के प्रोफेसर सोलंकी इस बस के जरिये ‘‘एनर्जी स्वराज यात्रा’’ पर निकले हैं जिसका मकसद जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से बचने के लिए लोगों में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में इस यात्रा के पहुंचने पर सोलंकी ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘भारत दुनिया के उन शीर्ष देशों में शुमार है जिन पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है। हम देख ही रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन से बेमौसम की बारिश और भीषण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए जागरूकता फैलाने के वास्ते उन्होंने आईआईटी, मुंबई की नौकरी से बिना वेतन की छुट्टी ली और नवंबर 2020 में ‘एनर्जी स्वराज यात्रा’ पर निकल पड़े।

सोलंकी ने बताया कि उनकी यह यात्रा 2030 तक चलनी है और उन्होंने संकल्प लिया है कि यात्रा खत्म होने तक वह अपने घर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा,‘‘अब सौर ऊर्जा से चलने वाली बस ही मेरा घर है।’’

सोलंकी ने बताया कि इस बस में उन्होंने दफ्तर, रसोईघर, पूजा घर, बिस्तर, प्रशिक्षण कक्ष, भोजन कक्ष, पुस्तकालय और गुसलखाना-सह-शौचालय बनवा रखा है।

उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में वह इस बस के जरिये देश भर में 47,000 किलोमीटर से ज्यादा का फासला तय कर चुके हैं और 600 से ज्यादा संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों को संबोधित कर चुके हैं।

सोलंकी ने कहा,‘‘जलवायु परिवर्तन की जड़ लगातार बढ़ता कार्बन उत्सर्जन है। जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान सौर ऊर्जा हो सकती है, लेकिन बेहद जरूरी है कि सौर ऊर्जा का उपयोग सही तरीके से किया जाए।’’

उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में अंधाधुंध तरीके से बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना ठीक नहीं है।

सोलंकी, मध्यप्रदेश सरकार के सौर ऊर्जा दूत भी हैं। उन्होंने कहा,‘‘हमें लोगों को स्थानीय स्तर पर सौर ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। तब जाकर हमें ऊर्जा क्षेत्र में स्वराज मिल सकेगा और हमें ईंधनों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।’’










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