Uttar Pradesh: समाजवादी पार्टी के सांसदों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, AMU के हालात पर जतायी चिंता, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

समाजवादी पार्टी (सपा) के दो संसद सदस्यों ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कई महीने गुजर जाने के बावजूद किसी पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति नहीं होने से उत्पन्न हालात पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की गुजारिश की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति की मांग
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति की मांग


अलीगढ़: समाजवादी पार्टी (सपा) के दो संसद सदस्यों ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कई महीने गुजर जाने के बावजूद किसी पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति नहीं होने से उत्पन्न हालात पर चिंता जाहिर करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की गुजारिश की है।

सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली और लोकसभा सदस्य एस.टी. हसन ने राष्ट्रपति को भेजे गये अलग-अलग पत्रों में एएमयू के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए उनसे फौरन हस्तक्षेप का अनुराध किया है। उन्होंने एएमयू के हालात को खराब बताते हुए कहा है कि स्थितियां और न बिगड़ें, इसके लिये राष्ट्रपति इसमें फौरन दखल दें।

जावेद अली ने राष्ट्रपति को गत एक सितंबर को पत्र लिखा, जबकि हसन ने पिछले हफ्ते ही यह खत भेजा है।

एएमयू टीचर्स एसोसिएशन ने दोनों सपा संसद सदस्यों के वे पत्र मीडिया को जारी किये हैं। इन पत्रों में कहा गया है कि एएमयू में पिछले करीब पांच महीनों से कोई पूर्णकालिक कुलपति नहीं है। इस अप्रत्याशित विलम्ब के चलते नीतिगत निर्णय नहीं लिये जा पा रहे हैं तथा विश्वविद्यालय की व्यवस्था चरमरा गयी है।

पत्र में दोनों संसद सदस्यों ने कहा है कि इसी साल अप्रैल में प्रोफेसर तारिक मंसूर के कुलपति पद से इस्तीफा देने के बाद नये कुलपति की नियुक्ति नहीं की गयी है। वैसे नये कुलपति की नियुक्ति की कवायद मई 2022 से पहले ही पूरी हो जानी चाहिये थी, लेकिन अलग—अलग बहाने करके अब 16 महीने गुजार दिये गये हैं।

दोनों संसद सदस्यों ने कहा कि 'तदर्थवाद' की संस्कृति के परिणामस्वरूप एएमयू को दीर्घकालिक अपूरणीय क्षति हो रही है। उन्होंने एएमयू की कुलाधिपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कुलपति पद के तीन दावेदारों के नाम भेजने में हो रहे विलंब पर भी चिंता जाहिर की है।

वर्ष 2017 में पांच साल के लिये कुलपति नियुक्त किये गये प्रोफेसर तारिक मंसूर को केन्द्र सरकार ने एक साल का सेवा विस्तार दिया था, मगर अपना विस्तारित कार्यकाल पूरा करने से कई महीने पहले ही मंसूर ने इसी साल अप्रैल में पद से इस्तीफा दे दिया था और भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राज्य विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया था।










संबंधित समाचार