जानें, गोरखपुर त्रासदी के खलनायक डा. कफील खान की पूरी कहानी

डीएन ब्यूरो

गोरखपुर त्रासदी में फरिश्ते की तरह सामने आये डा. कफील खान का असली चेहरा कुछ और ही है। 'हीरो' की तरह सबकी मदद करने वाले डा. खान अब जीरो हो गये हैं।

डा. कफील खान (फाइल फोटो)
डा. कफील खान (फाइल फोटो)


गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई मासूमों की मौत पर पूरा देश दुखी है। हर कोई अस्पताल की इस हरकत की कड़ी निंदा कर रहा है। गोरखपुर त्रासदी ने सबको हिला कर रख दिया है। सब तरफ दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।

इस घटना में प्रमुख तौर पर मेडिकल कॉलेज के डॉ. कफील खान का नाम सामने आया। ऐसा कहा जा रहा था कि उन्होंने मुश्किल हालातों में आक्सीजन सिलेंडर मंगवाए और मदद की। लेकिन अब डा. कफील की असलियत कुछ और ही दिख रही है। उनसे जुड़ी कुछ बातों ने डाक्टर को हीरो से जीरो बना दिया।

डा. कफील खान की असलियत

डा. खान का है प्राइवेट अस्पताल: जब मीडिया डा. खान को हीरो का दर्जा दे रही थी तब मेडिकल कालेज से जुड़े कुछ लोगों ने इस पर हैरानी जताई। लोगों के मुताबिक सच्चाई ये है कि वह बीआरडी मेडिकल कालेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल आफिसर तो थे लेकिन वो मेडिकल कालेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं।

चुराते थे आक्सीजन सिलेंडर: इतना ही नहीं डा. खान पर यह भी आरोप लगाये गये हैं कि वो अस्पताल से आक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर उनका इस्तेमाल किया करता थे। इसके अलावा इन्हें घटना का जिम्मेदार बताया जा रहा है।

कमीशन लेने का आरोप: मेडिकल कालेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों के मुताबिक डा. कफील अस्पताल में होने वाली हर खरीद में कमीशन लेता था। इतना ही नहीं कमीशन का तय हिस्सा प्रिंसिपल तक पहुंचाया जाता था। ऑक्सीजन कंपनी के साथ चल रहे विवाद में इन दोनों का नाम सामने आया है।

मीडिया को किया गुमराह: मेडिकल कालेज के लोगों के मुताबिक शुक्रवार को जब बच्चों की मौत की खबर पर हंगामा होने लगा तो उस समय डा. खान अपने निजी अस्पताल में थे। आक्सीजन की कमी पर उन्होंने वहां से कुछ सिलेंडर भिजवाये। असल में ये वही सिलेंडर थे जो वो मेडिकल कालेज से चोरी किए गए थे। लेकिन अपनी हरकत को छिपाने के लिए मीडिया को बताया कि उन्होंने इन सिलेंडरों का इंतजाम खुद किया है और उसका भुगतान अपनी जेब से किया है। जबकि हकीकत कुछ और है।










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