President Kovind At IIM-Nagpur: राष्ट्रपति कोविंद बोले- IIM नागपुर नौकरी के बजाए रोजगार प्रदाता बनने की मानसिकता को बढ़ावा देगा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को आईआईएम, नागपुर के नये परिसर के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थान न केवल सीखाते हैं , बल्कि वे व्यक्ति के भीतर छिपी प्रतिभा को भी तराशने का काम भी करते हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नागपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा कि नागपुर का भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) छात्रों में नौकरी तलाशने वाले के बजाय रोजगार प्रदाता बनने की मानसिकता को बढ़ावा देगा।
श्री कोविंद ने यहां मिहान स्थित आईआईएम , नागपुर के नये परिसर के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थान न केवल सीखाते हैं , बल्कि वे व्यक्ति के भीतर छिपी प्रतिभा को भी तराशने का काम भी करते हैं। उन्होंने कहा,“ नवाचार और उद्यमिता में प्रौद्योगिकी के माध्यम से हमारे जीवन को आसान बनाने की क्षमता है वहीं लोगों को रोजगार के अवसर भी सुलभ होते हैं।”
उन्होंने कहा कि नये क्षेत्र व्यावसायिक उद्यमों के दायरे में आ रहे हैं। खाद्य वितरण से लेकर अनेक चीजें की खरीदारी स्टार्ट-अप और ऐप-आधारित सेवाओं द्वारा प्रदान की जाती हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र भी इन नए उद्यमों का हिस्सा बन गये हैं तथा इस तरह के प्रयास देश के लिए गेम चेंजर हो सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा,“ यह हमारे लोगों के लिए नौकरी देने वाले और राजस्व कमाने वाले का एक संयोजन हो सकता है।”
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राष्ट्रपति ने छात्रों को आह्वान करते हुए कहा , “ आप दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और ज्ञान के दूत होंगे और आपका प्रदर्शन पूरे देश के लिए मानक होगा। हमारी परंपराओं ने विभिन्न क्षेत्रों , विशेषकर ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा साझेदारी पर जोर दिया है। इसलिए हमने जो ज्ञान इकट्ठा किया है उसे साझा करना हमारा कर्तव्य है। ऐसा करने से ज्ञान की और अधिक वृद्धि होगी।”
उन्होंने कहा कि स्थायी परिसर वाला यह संस्थान न केवल शैक्षणिक प्रशिक्षण का मैदान होगा बल्कि छात्रों के लिए जीवन को ढालने का अनुभव होगा। यह सावित्रीबाई फुले और डॉ आनंदीबाई जोशी की भूमि के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है, जो शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में पहले कुछ दिग्गज थे।
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श्री कोविंद ने कहा कि यह संस्थान नागपुर की भूमि में होने के लिए धन्य है क्योंकि यह उस स्थान के लिए प्रसिद्ध है जिसे भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने दीक्षा-स्थल के लिए चुना था। उन्होंने कहा, “ नागपुर शून्य मील के पत्थर के लिए प्रसिद्ध है और इसलिए इसे अक्सर भारत के केंद्र में माना जाता है। यह सेवाग्राम आश्रम के निकट भी है जो महात्मा गांधी का घर था और वह स्थान जहां से हमारे स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया गया था।”
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और धर्मेंद्र प्रधान, महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, नागपुर के प्रभारी मंत्री नितिन राउत तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। (वार्ता)