President Kanpur Visit: गांव पहुंचकर भावुक हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, हेलीपेड पर उतरते ही झुकाया शीश, चूमी गांव की माटी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को कानपुर देहात में स्थित अपने गांव परौंख पहुंचे। गांव पहुंचते ही राष्ट्रपति भावुक हो गये। हेलीपेड पर उतरते ही उन्होंने गांव की मिट्टी चूमी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 June 2021, 4:34 PM IST
google-preferred

कानपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को कानपुर में अपने पैतृत गांव परौंख पहुंचे। गांव के लिये बने हेलीपेड पर उतरते ही राष्ट्रपति भुवक हो गये। उन्होंने शीश झुकाया और गांव की जमीन चूम ली। जिसे देखकर वहां मौजूद सीएम योगी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और उनके सुरक्षाकर्मी भी भावुक हो गए। राष्ट्रपति ने ट्विटर पर लिखा कि यहीं से मैं राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा हूं। 

राष्ट्रपति आज अपने पैतृत गांव पहुंचने के मौके पर खासा उत्साहित दिखे। उन्होंने अपनी जन्मभूमि से आनंद और गौरव के अनुभव को ट्वीटर पर साझा किया औऱ लिखा “जन्मभूमि से जुड़े ऐसे ही आनंद और गौरव को व्यक्त करने के लिए संस्कृत काव्य में कहा गया है, ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात जन्म देने वाली माता और जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से भी बढ़कर होता है”।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर देहात में स्थित अपने पैतृत गांव परौंख पहुंचने के मौके पर गांव से जुड़ी कई बातें लोगों के साथ साझा की। राष्ट्रपति ने एक के बाद एक गांव को लेकर कई ट्विट किये। राष्ट्रपति ने लिखा मातृभूमि की इसी प्रेरणा ने मुझे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से राज्यसभा, राज्यसभा से राजभवन व राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया।

गांव के मंदिर में पूजा करते राष्ट्रपति 

राष्ट्रपति ने आगे लिखा मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही।

उन्होंने लिखा कि गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हों। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है।

Published : 

No related posts found.