पुलिस को दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात का विकल्प बताना चाहिए : कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक दुष्कर्म पीड़िता को 24 सप्ताह का गर्भ नष्ट करने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया है कि पुलिस को अपने-अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में पीड़ितों को गर्भपात के उपलब्ध विकल्प के बारे में बताना चाहिए ताकि पीड़ितों को अधिक समय के गर्भ को नष्ट करने के लिए अदालत का रुख नहीं करना पड़ा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 13 December 2023, 9:24 PM IST
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बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक दुष्कर्म पीड़िता को 24 सप्ताह का गर्भ नष्ट करने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया है कि पुलिस को अपने-अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में पीड़ितों को गर्भपात के उपलब्ध विकल्प के बारे में बताना चाहिए ताकि पीड़ितों को अधिक समय के गर्भ को नष्ट करने के लिए अदालत का रुख नहीं करना पड़ा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अदालत ने यह निर्देश 17 वर्षीय पीड़िता के पिता की ओर से दायर याचिका पर दिया जिन्होंने दुष्कर्म की शिकार बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति देने का आग्रह किया था।

पीड़िता भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत हुए अपराध की शिकार है।

दुष्कर्म की वजह से पीड़िता गर्भवती हो गई। वह वर्तमान में 24 सप्ताह से गर्भवती है। याचिका में दावा किया गया कि पीड़िता बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती और चिकित्सीय गर्भपात कराने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने 11 दिसंबर को दिए आदेश में कहा कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न नहीं होती ‘यदि यह फैसला (गर्भपात का) पहले ही ले लिया जाता और तब याचिकाकर्ता को इस अदालत का रुख करने की भी कोई आवश्यकता नहीं होती। ’’

अदालत ने कहा इसलिए गृह विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वह सभी जांच अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करें कि जरूरत होने पर गर्भ को चिकित्सकीय तरीके से नष्ट करने के विकल्प की उपलब्धता, इसके लिए अपनाई जाने वाली आवश्यक प्रक्रिया पीड़िता और /या जैविक अभिभावक को बताएं।

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