पीएम मोदी ने विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना कार्यक्रम को किया संबोधित, जानिये संबोधन की खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारीगरों, छोटे कारोबारियों की मदद के लिए समयबद्ध तरीके से मिशन बनाकर काम करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए शनिवार को कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना का ध्यान ऐसे ही एक बहुत बड़े और बिखरे हुए समुदाय की तरफ है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 11 March 2023, 3:03 PM IST
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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारीगरों, छोटे कारोबारियों की मदद के लिए समयबद्ध तरीके से मिशन बनाकर काम करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए शनिवार को कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना का ध्यान ऐसे ही एक बहुत बड़े और बिखरे हुए समुदाय की तरफ है।

मोदी ने बजट के बाद ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ योजना पर आयोजित एक वेबिनार में कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य आज के कारीगरों को कल का बड़ा उद्यमी बनाना है। इसके लिए उनके व्यापार मॉडल में स्थिरता जरूरी है।’’

उन्होंने सभी हितधारकों से छोटे कारीगरों को अपनी मूल्य शृंखला का हिस्सा बनाने का आह्वन किया।

मोदी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना’ का उद्देश्य कारीगरों के कौशल को निखारना, उनके लिए आसानी से ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना और ब्रांड प्रचार में उनकी मदद करना है ताकि उनके उत्पाद बाजार में जल्दी पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य कारीगरों और लघु कारोबार से जुड़े लोगों की भी मदद करना भी है।

उन्होंने कहा कि ‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत करोड़ों लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लघु स्तर के कारीगर स्थानीय शिल्प के निर्माण और देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि आज का ये बजट वेबिनार भारत के करोड़ों लोगों के हुनर और उनके कौशल को समर्पित है। कौशल जैसे क्षेत्र में हम जितना विशिष्ट रूप से केंद्रीत होंगे, हमारा रूख जितना लक्ष्य आधारित होगा... उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे और पीएम-विश्वकर्मा योजना उसी सोच का नतीजा है।

मोदी ने कहा कि आजादी के बाद हमारे कारीगरों को सरकार से जिस सुगढ़ तरीके के हस्तक्षेप की आवश्यकता थी, वो नहीं मिल पाई।

उन्होंने कहा कि आज कई लोग अपना पुश्तैनी और पारंपरिक व्यवसाय छोड़ रहे हैं, हम इस वर्ग को ऐसे ही अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हमारे गांवों और शहरों में विभिन कारीगर हैं जो अपने हाथ के कौशल से औजार का उपयोग करते हुए जीवन यापन करते हैं। पीएम-विश्वकर्मा योजना का फोकस ऐसे ही एक बहुत बड़े और बिखरे हुए समुदाय की तरफ है।’’

उन्होंने कहा, ''हमने छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पीएम-स्वनिधि योजना बनाई... इसका उन्हें लाभ मिला।''

उन्होंने कहा कि पीएम-विश्वकर्मा योजना से करोड़ों लोगों की बड़ी मदद होने जा रही है। हर विश्वकर्मा साथी को आसानी से लोन मिले, उनका कौशल बढ़े... यह सुनिश्चित किया जाएगा।

मोदी ने कहा, ‘‘ पीएम-विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को संरक्षित तो करना ही है... उसका विकास भी करना है। अब हमें कौशल आधारभूत प्रणाली को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार नए सिरे से तैयार करने की जरुरत है।’’

उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य आज के कारीगरों को कल का बड़ा उद्यमी बनाना है और विश्वकर्मा साथियों के लिए उनके कारोबारी मॉडल में स्थायित्व जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा , ‘‘हमारी नजर केवल स्थानीय बाजार पर नहीं है बल्कि हमारा लक्ष्य वैश्विक बाजार भी है। कारीगरों को हम मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनाकर ही मजबूत कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग ऐसे लोगों की जरूरतों के साथ जुड़कर अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं, जहां उन्हें कौशल एवं गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह सभी पक्षकारों के लिए फायदे की स्थिति होगी। कारपोरेट कंपनियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त होगा। बैंक के धन का इन योजनाओं में निवेश होगा।

मोदी ने कहा कि इसका सरकार की योजनाओं पर व्यापक प्रभाव दिखेगा।

प्रधानमंत्री ने सभी हितधारकों से छोटे कारीगरों को अपनी मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले इन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है और बहुतों को पहली बार सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिला है।

उन्होंने कहा कि अधिकांश कारीगर दलित, आदिवासी, पिछड़े समुदाय के लोग और महिलाएं हैं और इन लोगों तक फायदा पहुंचाने के लिए व्यवहारिक रणनीति की जरूरत होगी।

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