पेंच बाघ अभयारण्य ने वन क्षेत्रों के लिये डेयरी परियोजना शुरू की, जानिये इसके ये खास फायदे
महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पेंच बाघ अभयारण्य ने बफर जोन में रहने वाले लोगों की आजीविका बढ़ाने और संरक्षित वन पर दबाव कम करने के लिए एक सहकारी डेयरी परियोजना शुरू की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर जिले में पेंच बाघ अभयारण्य ने बफर जोन में रहने वाले लोगों की आजीविका बढ़ाने और संरक्षित वन पर दबाव कम करने के लिए एक सहकारी डेयरी परियोजना शुरू की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पेंच बाघ अभयारण्य के उप निदेशक प्रभु नाथ शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस परियोजना के तहत 40 दुधारू पशुओं को अवलेघाट, मकरधोकडा और चारगांव गांव में भेजा गया है तथा अवलेघाट में एक दूध संग्रह केंद्र बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की आय बढ़ाने में मदद करने के अलावा इस कदम का मकसद मवेशियों को चारे की तलाश में जंगल में जाने से रोकना और जंगली जानवरों से संभावित संघर्ष की घटनाओं में कमी लाना है।
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अधिकारियों के मुताबिक, पेंच नदी के नाम पर बना पेंच अभयारण्य 741.41 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और आखिरी गणना तक इसमें 41 बाघ होने का अनुमान था।
शुक्ला ने बताया कि सहकारी डेयरी परियोजना को महाराष्ट्र वन विकास निगम से 25 लाख रुपये का वित्त पोषण मिला है।
विज्ञप्ति के अनुसार, ग्रामीणों ने ‘शिव स्वराज्य सहकारी संस्थान’ नाम की एक सहकारी समिति बनाई है और दूध बेचने के लिए नागपुर के ‘नूतन पथ संस्थान’ से समझौता किया है।
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शुक्ला ने कहा कि सहकारी समिति की संग्रह केंद्र में पनीर और आइसक्रीम निर्माण इकाई स्थापित करने की योजना है तथा वह इसमें और सदस्यों को जोड़ने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि वन विभाग लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अन्य स्रोतों से वित्तीय सहयोग हासिल करने की प्रक्रिया में जुटा है।
शुक्ला ने कहा, ‘‘इस परियोजना का पेंच के बफर क्षेत्र में बड़ा असर पड़ने जा रहा है। यह परियोजना लोगों की आजीविका में इजाफा करेगी और वन क्षेत्रों पर दबाव घटाएगी।’’