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ओडिशा सरकार ने उड़िया लोगों से तीन फरवरी को राज्य गीत गाने की अपील की

ओडिशा सरकार ने दुनिया भर में रहने वाले सभी उड़िया लोगों से अपील की है कि तीन फरवरी को जब भुवनेश्वर में विश्व का पहला उड़िया भाषा सम्मेलन आयोजित हो रहा होगा, तब पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट पर, वह राज्य गीत ‘बंदे उत्कल जननी’ जरूर गाएं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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ओडिशा सरकार ने उड़िया लोगों से तीन फरवरी को राज्य गीत गाने की अपील की

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने दुनिया भर में रहने वाले सभी उड़िया लोगों से अपील की है कि तीन फरवरी को जब भुवनेश्वर में विश्व का पहला उड़िया भाषा सम्मेलन आयोजित हो रहा होगा, तब पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट पर, वह राज्य गीत ‘बंदे उत्कल जननी’ जरूर गाएं।

यह अपील उड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति (OLLC) विभाग द्वारा बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में की गई। इस संवाददाता सम्मेलन को मंत्री अश्विनी पात्रा, सूचना और जनसंपर्क विभाग के सचिव संजय सिंह और ओएलएलसी सचिव सुजाता के राउत ने संबोधित किया।

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सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस अवसर पर पंचायत और खंड स्तरों पर सभाएं सुनिश्चित करने की योजना बनाई है।

राउत ने कहा कि इस पहले ‘ओडिशा भाषा सम्मिलानी’ (उड़िया भाषा सम्मेलन) का मकसद युवा पीढ़ी को उड़िया भाषा से जोड़ना है।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘ सम्मेलन का सफल बनाने के लिए, हम राज्य, देश या विदेश में रहने वाले सभी उड़िया लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे तीन फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट पर ‘बंदे उत्कल जननी’ जरूर गाएं।

ओएलएलसी सचिव ने कहा कि यह विश्व का पहला उड़िया भाषा सम्मेलन 2024 है। उन्होंने कहा कि भारत की छह शास्त्रीय भाषाओं में से एक उड़िया अनूठी है और इसकी विकास यात्रा लगातार जारी है।

इस सम्मेलन में उड़िया भाषा, साहित्य और सांस्कृतिक विरासत से जुड़े विभिन्न विषयों पर 16 शैक्षणिक सत्र होंगे। जगन्नाथ चेतना पर भी एक विशेष सत्र होगा। ‘ओडिशा @2036: ए स्पेस फॉर टुमारो’ नामक सत्र में ओडिया भाषा के भविष्य के पहलुओं और उसकी अपार संभावनाओं पर भी चर्चा की जाएगी।

सम्मेलन का समापन पांच फरवरी को होगा।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि सम्मेलन में प्रो हरमन कुल्के, प्रो यूवे स्कोडा, प्रो अर्लो ग्रिफिथ्स, प्रो एनेट एक्मिडशेन सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के शोधार्थी, शिक्षाविद आदि हिस्सा लेंगे।

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