NSA Ajit Doval: अजित डोभाल ने बताई ‘सॉफ्ट पावर’ की शक्ति, महात्मा गांधी को लेकर कई ये बातें
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी एक महान रणनीतिकार थे जिन्होंने अपने से कहीं अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए ‘सॉफ्ट पावर’ का इस्तेमाल किया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी एक महान रणनीतिकार थे जिन्होंने अपने से कहीं अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए ‘सॉफ्ट पावर’ का इस्तेमाल किया।
वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की किताब ‘गांधी, ए लाइफ इन थ्री कैम्पेन्स’ के विमोचन के अवसर पर उन्होंने कहा, ‘‘ताकत आपके विरोधी को उस तरीके से प्रभावित करने की क्षमता है जिस तरीके से आप प्रभावित करना चाहते हैं। अगर मैं चाहता हूं कि आप कुछ करें और आप वही करते हो जो मैं चाहता हूं। यही ताकत है जो मैं आप पर आजमाता हूं।’’
डोभाल ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध और इसके बाद के युद्धों ने यह साबित करना शुरू कर दिया कि क्रूर सैन्य शक्ति राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सबसे अधिक खर्चीला-अप्रभावी साधन है।
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उन्होंने कहा, ‘‘चाहे अमेरिकियों ने वियतनाम में इसकी कोशिश की या सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में की, वे दूसरे पक्ष के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली थे लेकिन उन्होंने पाया कि कम शक्तिशाली ताकतें भी उन्हें हरा सकती हैं।’’
डोभाल ने कहा, ‘‘गांधी को अहसास हुआ कि उनका नैतिक बल...जिसे हम आज ‘सॉफ्ट पॉवर’ कहते हैं वह नैतिक बल, आपकी सभ्यता, आपकी संस्कृति की ताकत है, वह कहीं अधिक शक्तिशाली ताकतों को हरा पाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निस्संदेह गांधी एक महान रणनीतिकार थे। वह समझ गए थे कि एक विषम युद्ध में उनके हथकंडे अलग होने चाहिए।’’
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि महात्मा गांधी उन चुनिंदा लोगों में से एक थे जो अपने से कहीं अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराने में ‘सॉफ्ट पावर’ का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर सके।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आध्यात्मिक विरासत के उत्तराधिकारी, ‘‘भारत की प्राचीन लेकिन गतिशील संस्कृति के व्याख्याकार और एक नए मानवतावाद के अग्रदूत थे।’’
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने किताब की प्रशंसा की और कहा, ‘‘मुझे लगता है कि गांधी जी पर 11,000 किताबें पहले ही लिखी जा चुकी हैं...लेकिन यहां अब भी उनके ऐसे पहलू हैं जिन्हें समझने की जरूरत है।’’