‘निंबाडोन’ भालू पेड़ों पर चढ़ने में माहिर थे; जीवाश्म कंकाल से मिली जानकारी

डीएन ब्यूरो

धरती से हजारों बरस पहले विलुप्त हो जाने के बावजूद जीवों का वजूद समाप्त नहीं होता। ऐसे जीवों के जीवाश्म कंकालों का गहन अध्ययन करके हम उनकी जीवन शैली, उनकी भोजन प्रणाली, उनकी चाल ढाल और उनके विकास क्रम को समझ सकते हैं । पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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मेलब: धरती से हजारों बरस पहले विलुप्त हो जाने के बावजूद जीवों का वजूद समाप्त नहीं होता। ऐसे जीवों के जीवाश्म कंकालों का गहन अध्ययन करके हम उनकी जीवन शैली, उनकी भोजन प्रणाली, उनकी चाल ढाल और उनके विकास क्रम को समझ सकते हैं । यह कह सकते हैं कि ये जीवाश्म कंकाल एक प्रकार का बाइस्कोप हैं जिनमें झांक कर हम इन जीवों की हजारों बरस पहले की दुनिया में पहुंच जाते हैं ।

जीवाश्म अस्थियों के विभिन्न तत्वों का विश्लेषण कर हम न केवल उस जीव के संपूर्ण आकार का पता लगा सकते हैं बल्कि उसकी चाल ढाल एवं उसकी जीवन शैली के तौर-तरीके जान सकते हैं तथा हमें यह भी पता चल सकता है कि वह किस तरह के परिवेश में रहता था।

लेकिन यदि जीवाश्म अस्थियों के अंदर झांके तो क्या होगा? वे विलुप्त जीव के विकास के बारे में किन रहस्यों का उद्घाटन कर सकते हैं। ‘जर्नल ऑफ पेलीअन्टालजी’ में प्रकाशित एक नये अध्ययन में हमने पश्चिमोत्तर क्वींसलैंड के वानयी क्षेत्र के विश्वप्रसिद्ध ‘रिवरस्लेघ वर्ल्ड हेरीटेज एरिया’ से विशाल भालू जैसी धाणी प्राणी के 1.5 करोड़ साल पुराने जीवाश्म के अध्ययन से ऐसा किया है। (धाणी प्राणी कोई भी ऐसा पशु है जिसमें मादा अपने बच्‍चे को पेट पर लगी थैली में रखती है।)

पेड़ों पर रहने वाले धाणी प्राणी को ‘निंबाडोन’ कहा जाता था और उसका वजन करीब 70 किलोग्राम था। यह आस्ट्रेलिया से अब तक ज्ञात, पेड़ों पर रहने वाला सबसे बड़ा स्तनधारी जीव था।

निंबाडोन का संबंध काफी पहले विलुप्त हो चुके विशालकाय धाणी प्राणी के भिन्न समूह ‘डिप्रोटोडोन्टोइड्स’ से है। उनमें वे बड़े-बड़े जानवर हैं जो कभी धरती पर रहते थे। उनमें ढाई टन का ड्रिप्रोटोडोन शामिल है।

आधुनिक जीवों में निंबाडोन का काफी हद तक संबंध ‘वुम्बैट’ से है। लेकिन अब भी बड़े अचरज की बात है कि शरीर के आकार एवं जीवन शैली की दृष्टि से वे दक्षिणपूर्व एशिया में पाए जाने वाले भूरे भालू से काफी मिलते जुलते हैं जो आजकल दक्षिणपूर्व एशिया के वर्षाच्छादित वनों में पेड़ों पर चढ़ते देखा जा सकता है।

जब हमें पहली बार 1993 में रिवरस्लेघ में निंबाडोन के जबड़े की हड्डियां मिलीं तब हमने सोचा कि ये पत्तियां खाने वाला धाणी प्राणी है जो वनों में खुराक की खोज में घूमता था।

लेकिन हमने पाया कि हमें रिवरस्लेघ से अब तक जितनी प्रजातियां मिली थीं उनका गहन अध्ययन करने पर हमें उनके बारे में और विचित्र एवं आकर्षक बातें पता चलीं।

अब हम निंबाडोन को उसके संपूर्ण कंकाल जान चुके हैं । थैली में उसकी शैशवावस्था से लेकर उसके पूर्ण वयस्क जीव बनने तक की विकास यात्रा के विभिन्न चरण हम समझ चुके हैं। हमें पता चला है कि मजबूत बाजुओं के साथ ही उसके कंधों और कुहनियों के जोड़ काफी लचीले थे । पेड़ों पर चढ़ने के लिए उसकी हथेलियां और पंजे घुमावदार जो पेड़ों की छाल में घुसने और शाखाओं को पकड़ने में सक्षम थे।

हमें यह भी पता चला है कि इन जीवों को पेड़ों पर चढ़ने में महारत हासिल थी और अपने समकालीन निकटतम जीवों -धरती पर विचरने वाले वुंबैट के मुकाबले ये काफी भिन्न जिंदगी जीते थे।

निंबाडोन डेढ़ करोड़ साल पहले ऑस्ट्रेलियाई वर्षा वनों के तराई वाले इलाकों में रहते थे। ये जैवविविधता से भरे हरे-भरे जंगल कुछ समान रूप से अजीब जानवरों का घर हुआ करते थे, जैसे कि मांस खाने वाले कंगारू, पेड़ पर चढ़ने वाले मगरमच्छ, पुश्तैनी थाइलेसीन, बिल्ली से लेकर तेंदुए के आकार के मार्सुपियल शेर, विशाल एनाकोंडा , विशालकाय दांत वाले प्लैटिपस और रहस्यमयी मार्सुपियल। आज हम जो आस्ट्रेलिया देखते हैं, वह उससे बहुत अलग था।

हड्डियों का अध्ययन

हमने निंबाडोन की हड्डी के शाफ्ट से एक खंड को हटाकर इसे एक घोल में डुबोया । तेज धार ब्लेड का उपयोग करते हुए, हमने अपने नमूनों को पतले टुकड़ों में काटा और उन्हें तब तक पॉलिश किया जब तक कि प्रकाश उनके माध्यम से न गुजर सके। इन टुकड़ों का अध्ययन करने के लिए इन्हें ग्लास माइक्रोस्कोप स्लाइड्स पर लगाया गया ।

हैरान करने वाली बात यह थी कि लाखों वर्षों के जीवाश्मीकरण के बाद भी, जीवाश्म हड्डियों की सूक्ष्म संरचना अक्षुण्ण बनी हुई थी। हम यह जानकर चकित थे कि निंबाडोन समय-समय पर तेजी से बढ़ा। कुछ में तेजी से वृद्धि देखी गई और उसके बाद वृद्धि की गति धीमी पायी गयी ।

अब हम इसके भोजन को समझने के लिए इसके दांतों का अध्ययन कर रहे हैं।










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