कृष्ण जन्मभूमि मामले में आया नया मोड़, जानें पूरा मामला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा की एक अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर प्रतिवादियों को अपने जवाब दाखिल करने का बुधवार को अंतिम अवसर दिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
प्रयागराज :इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा की एक अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर प्रतिवादियों को अपने जवाब दाखिल करने का बुधवार को अंतिम अवसर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस मामले में हिंदू भक्तों ने उस जमीन पर दावा किया है जिस पर ईदगाह मस्जिद निर्मित है।
याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि मूल वाद पर स्वयं उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख चार अप्रैल तय की।
यह भी पढ़ें |
इलाहाबाद हाई कोर्ट में कृष्ण जन्मभूमि मामले को स्थानांतरित करने हुई सुनवाई, जानिये ये बड़ा अपडेट
‘कटरा केशव देव खेवट मथुरा’ (देवता) में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य लोगों के जरिए दायर स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि इस मामले को अनावश्यक नहीं खींचा जाना चाहिए बल्कि इसका त्वरित निस्तारण किया जाना आवश्यक है। सभी प्रतिवादियों को निर्धारित अवधि के भीतर अपने जवाब दाखिल करने की आवश्यकता है।”
प्रतिवादियों- कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट स्थित शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, कटरा केशव देव, डीग गेट, मथुरा और श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान को 10 दिनों के भीतर अपने-अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को इसके बाद एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
इससे पूर्व, एक फरवरी 2023 को इस अदालत ने इस मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था। हालांकि, बुधवार को जब इस मामले में सुनवाई शुरू हुई तो अदालत ने पाया कि अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
यह भी पढ़ें |
मथुरा में ट्रक और ट्रैक्टर की टक्कर में तीन युवकों की मौत
उल्लेखनीय है कि आवेदकों ने मस्जिद ईदगाह पर हिंदू समुदाय के अधिकार का दावा करते हुए दीवानी न्यायाधीश की अदालत में वाद दायर किया था और दलील दी थी कि हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद इस मस्जिद का निर्माण किया गया था।