Delhi University's Centenary Celebration: डीयू के शताब्दी समारोह में बोले उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू- उच्च शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाना जरूरी

डीएन ब्यूरो

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उच्च शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाने और इसे अधिक समावेशी तथा न्यायसंगत बनाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि शिक्षा मानव विकास, राष्ट्र निर्माण और एक समृद्ध तथा टिकाऊ वैश्विक भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

डीयू के शताब्दी समारोह को संबोधित करते उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू
डीयू के शताब्दी समारोह को संबोधित करते उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू


नयी दिल्ली : उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उच्च शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाने और इसे अधिक समावेशी तथा न्यायसंगत बनाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि शिक्षा मानव विकास, राष्ट्र निर्माण और एक समृद्ध तथा टिकाऊ वैश्विक भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उप राष्ट्रपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को समाज की गंभीर समस्याओं का समाधान करने के लिए नए विचारों के साथ आगे आना चाहिए।

उन्होंने जोर देकर कहा कि समावेशिता और ग्रामीण युवाओं को शिक्षा तक समान पहुंच का यह आयाम महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षा मानव विकास, राष्ट्र निर्माण और एक समृद्ध और टिकाऊ वैश्विक भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

उप राष्ट्रपति ने स्मारक शताब्दी टिकट, स्मारक शताब्दी सिक्का, और दिल्ली विश्वविद्यालय स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा- 2022 (हिंदी, संस्कृत और तेलुगु संस्करण) भी जारी किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की शताब्दी वेबसाइट का भी शुभारंभ किया।

उन्होंने कहा कि शोध का अंतिम उद्देश्य लोगों के जीवन को अधिक आरामदायक और खुशहाल बनाना होना चाहिए। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है। राष्ट्र निर्माण के लिए मानव संसाधनों की सामूहिक शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश के शैक्षिक परिदृश्य में क्रांति लाने वाला एक दूरदर्शी दस्तावेज बताते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू होने पर मातृभाषा में शिक्षा देना क्रांतिकारी साबित होगा।

श्री नायडू ने कहा कि स्थानीय भाषा को प्रशासन और अदालतों में संचार का मुख्य माध्यम होना चाहिए। उन्होंने कहा, "हर राजपत्र अधिसूचना और सरकारी आदेश स्थानीय या मूल भाषा में होना चाहिए ताकि आम आदमी इसे समझ सके।"

उप राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन भारत ने विश्वगुरु होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध था। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय जैसे ज्ञान के प्रतिष्ठित केंद्र थे। शिक्षा ज्ञान और ज्ञान की वृद्धि के लिए है। शिक्षा सीखने की एक आजीवन प्रक्रिया है और केवल डिग्री हासिल करने से ही समाप्त नहीं हो जाती।

उन्होंने छात्रों को बड़े सपने देखने, ऊंचे लक्ष्य रखने और जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा। शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों जैसे बड़ों के प्रति सम्मान, शिक्षकों के प्रति सम्मान और प्रकृति के प्रति प्रेम को बढ़ावा दें। उन्होंने सभी से प्रकृति का सम्मान करने और सद्भाव में रहने का आग्रह किया। (वार्ता)










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