New Delhi: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भगवान बुद्ध के उपदेशों के बारे में बतायी ये महत्वपूर्ण बात, जानिए पूरी खबर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश अतीत के अवशेष नहीं हैं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए दिशा सूचक हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 January 2024, 3:25 PM IST
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नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश अतीत के अवशेष नहीं हैं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए दिशा सूचक हैं। उन्होंने कहा कि आज जहां दुनिया विभाजन और टकराव की पीड़ा झेल रही है, ऐसे में उनके उपदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं।

उन्होंने लोगों से शांति स्थापित करने के लिए सहिष्णुता, न्याय और साझा प्रतिबद्धता का पालन करने का भी आग्रह किया, जिसका उद्देश्य ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है जहां सभी का विकास हो।

यहां शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं आम सभा के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को बुद्ध के सिद्धांतों द्वारा मार्गदर्शित किया गया है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई और दुनिया के हर कोने में इसका प्रसार हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान का हवाला दिया कि हम उस देश से हैं जिसने बुद्ध दिया, ‘युद्ध’ नहीं।

कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘विश्व आज उन चुनौतियों का सामना कर रहा है जो सार्वभौमिक हैं और ठोस प्रयासों की मांग करती हैं- चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, संघर्ष हो, आतंकवाद हो या गरीबी हो... ये चुनौतियां एक तरह से मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा हैं और इन्हें साझा संकल्प और सहयोगात्मक एवं सामूहिक दृष्टिकोण से ही हल किया जा सकता है।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध के सिद्धांत सभी हितधारकों को एक साझा मंच पर लाने के लिए आशा की किरण से कम नहीं हैं।

धनखड़ ने यह भी कहा कि हिंसा से कभी अखंडता की भावना पैदा नहीं हुई और शांति से कभी विभाजन जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की कलाकृति 5,000 साल के इतिहास को दर्शाती है और भाग-पांच का उल्लेख किया, जहां भगवान बुद्ध की तस्वीर इसकी शोभा बढ़ाती है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि बौद्ध धर्म ने परिवर्तनशील चुनौतियों से गुजर रहे विश्व को शांति और अहिंसा पर आधारित जीवन जीने का एक तरीका दिया है।

उन्होंने कहा कि शांति के बिना मानव सभ्यता खतरे में पड़ जाएगी।

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