अरविंद केजरीवाल ने IAS अफसर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिये बुलाई ये खास बैठक, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की पहली बैठक 20 जून को बुलाई है। इसका गठन केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अरविंद केजरीवाल ने 20 जून को बुलाई बैठक
अरविंद केजरीवाल ने 20 जून को बुलाई बैठक


नयी दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की पहली बैठक 20 जून को बुलाई है। इसका गठन केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने दावा किया कि बैठक में एक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर चर्चा होगी।

केंद्र सरकार ने 19 मई को एक अध्यादेश के जरिए एनसीसीएसए का गठन किया था और इसका मकसद सेवा से जुड़े मामलों पर अपना कार्यपालिका नियंत्रण वापस कायम करना था।

प्राधिकरण 11 मई को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद गठित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में नौकरशाहों के तबादले और पदस्थापन समेत सेवा से जुड़े मामलों का कार्यपालिका नियंत्रण दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दे दिया था।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता वाले एनसीसीएसए में दिल्ली के मुख्य सचिव सदस्य और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य सचिव के रूप में शामिल हैं।

अध्यादेश के मुताबिक, आईएएस अधिकारियों के तबादले और तैनाती के मामले एनसीसीएसए देखेगा जो पहले उपराज्यपाल के तहत आने वाला सेवा विभाग देखता था।

हाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अरूणाचल-गोवा-मिज़रोम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के 10 आईएएस अधिकारियों का तबादला दिल्ली किया है और नव गठित एनसीसीएसए ने अबतक उनकी तैनाती पर फैसला नहीं किया है।

अधिकारियों ने बताया कि यह फिलहाल साफ नहीं है कि एनसीसीएसए अपनी पहली बैठक में आईएएस अफसरों की तैनाती के मामले पर चर्चा करेगा या नहीं।

अध्यादेश के मुताबिक, एनसीसीएसए के तीन सदस्यों की ओर से फैसले को मंजूरी देने के बाद इसे उपराज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। उपराज्यपाल अगर प्राधिकरण की सिफारिश से सहमति नहीं रखते हैं तो वे तबादले-तैनाती की फाइल एनसीसीएसए को पुन:विचार के लिए लौटा सकते हैं या अपना स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं जो अंतिम होगा।

केजरीवाल ने अध्यादेश को उच्चतम न्यायालय के गौरव और शक्ति को ‘सीधी चुनौती’ करार दिया था और कहा था कि गर्मियों की छुट्टियों के बाद न्यायालय के खुलने पर इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी।










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