NSA अजित डोभाल ने की मोर्चाबंदी, सीमा पर विवाद में भारत को बड़ी सफलता, LAC पर पीछे हटे चीनी सैनिक

गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के बाद से चीन के साथ चल रहे तनाव को कम करने की दिशा में एनएसए अजित डोभाल की ‘मोर्चाबंदी’ आखिरकार रंग ला गयी है। दोनों देशों में सहमति के बाद चीनी सेना पीछे हट गयी है। पूरी खबर..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 6 July 2020, 4:30 PM IST
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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आया तनाव अब घटता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत और चीन सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशों में रविवार को भारत को बड़ी सफलता मिली। जिसके बाद आज चीनी सेना गलवान घाटी से 1-2 किलोमीटीर पीछे हट गयी है। भारत के लिये यह बड़ी उपलब्धि है।

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने कल रविवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिये बात की थी। डोभाल की यह 'मोर्चाबंदी' सफल रही। देर रात के करीब दो घंटे तक चली इस बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच कुछ समय से चले आ रहे तनाव को कम करने पर सहमति बनी। वांग ली, जो चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हैं, ने चीनी सेना को गलवान घाटी से पीछे हटाने पर सहमति जतायी, जिसके परिणामस्वरूप आज चीन की सेना पीछे हट गयी है।

बाताया जाता है कि भारत की तरफ से अझित डोभाल के सख्त रुख के बाद चीन पीछे हटने को तैयार हुए। भारत ने चीन को फिलहाल चौतरफा घेर रखा है। हाल में चीन के 59 ऐप्स पर बैन के बाद पेइचिंग पूरी तरह से हिल गया था। डोभाल के साथ लंबी बातचीत में गलवान में तनाव कम करने पर सहमति बनी और चीन ने पीछे हटना स्वीकार किया।

बातचीत के बाद दोनो पक्षों में इस बात पर भी सहमती बनी कि भारत और चीन की सेनाएं जल्दी से जल्दी से विवादित क्षेत्र से पीछे हट जाएं और वहां शांति बहाली हो जाए। दोनों पक्ष इसके लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब मौजूद सैनिकों के जल्द हटाने पर भी हामी भरी। भारत और चीन ने चरणबद्ध तरीके से LAC के करीब से सैनिकों को हटाने की बात कही। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी की दोनों पक्ष LAC का उल्लंघन नहीं करेंगे और कोई भी पक्ष वहां यथास्थिति बदलने के लिए कोई एकपक्षीय कार्रवाई नहीं करेगा। 

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को खत्म करने में इसे भारत की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों की ओर से प्रतिनिधि तय किए गए हैं। भारत की ओर से अजित डोभाल ही इसके स्थाई प्रतिनिधि हैं। 
 

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