ब्लैक मनी के खिलाफ मोदी सरकार की बड़ी सफलता, कई शैल कंपनियों का पर्दाफाश

डीएन ब्यूरो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को लेकर तब तरह-तरह के कयास लगाये गये थे। बाद में विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हुए, उनका हमला अब भी जारी है। लेकिन अब 13 बैंकों की एक रिपोर्ट बताती है कि काले धन के खिलाफ छेड़ी गयी मोदी सरकार की जंग को बड़ी कामयाबी मिली है।

फाइल  फोटो
फाइल फोटो


नई दिल्ली: 8 नवंबर, 2016 की रात को देश में नोटबंदी का ऐलान करते वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे कालेधन पर सरकार का सबसे प्रहार बताया था। नोटबंदी को लेकर तब तरह-तरह के कयास लगाये गये थे। नोटबंदी के कुछ महीनो बाद आई आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि नोटबंदी के दौरान बंद किये 95 फीसदी से ज्यादा नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुके। इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गये थे। लेकिन अब आयी 13 बैंकों की रिपोर्ट से मोदी सरकार को काले धन के खिलाफ छेड़ी गयी जंग में बड़ी कामयाबी मिलती हुई दिखायी दे रही है। 13 बैंकों ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार को कई संदिग्ध कंपनियों के संदिग्ध लेन-देन को उजागर किया है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ इन सभी संदिग्ध कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर चुकी है।

 

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एक कंपनी के नाम कुल 2,134 बैंक खाते

देश के 13 बैंकों ने अब अपने आंकड़ों की पहली किस्त सरकार को सौंपी है। इन आंकड़ों में दो लाख से भी ज़्यादा कंपनियों में से सिर्फ 5,800 कंपनियों के ही 13,140 बैंक खातों की जानकारी दी गई है। इनमें से कुछ शैल कंपनियों के नाम तो 100-100 से भी ज़्यादा खाते हैं। इनमें से एक कंपनी के नाम कुल 2,134 बैंक खाते हैं, जबकि कई अन्य के नाम 900 खाते भी हैं।

 

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

 

बैंक खातों में की गई जमा-निकासी की अहम जानकारी

13 बैंकों ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को 2,09,032 कंपनियों में से कुछ के बैंक खातों के संचालन तथा नोटबंदी के बाद के जमा-निकासी को लेकर बेहद अहम जानकारी दी है। 
नोटबंदी के दौरान इन शैल कंपनियों द्वारा अपने बैंक खातों में की गई जमा-निकासी से जुड़ी सबसे अहम जानकारी भी बैंकों ने सरकार को दी है।

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जितनी रकम जमा करवाईं उतनी निकाली 

जानकारी के मुताबिक इन शैल कंपनियों के लोन खातों को अलग कर दिए जाने के बाद इन 5,800 कंपनियों के खातों में 8 नवंबर, 2016 को कुल 22.05 करोड़ रुपये की रकम बची थी। लेकिन 9 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने से लेकर रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने तक की अवधि में इन कंपनियों ने 4573.87 करोड़ रुपये की रकम जमा करवाईं और लगभग इतनी ही रकम 4,552 करोड़ रुपये की निकासी भी की।










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