1857 की क्रांति की याद में देवरिया में संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन

डीएन संवाददाता

31 जुलाई 1857 को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से हरी प्रसाद सिंह की देख रेख में देवरिया में संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मंचासीन अतिथि गण
मंचासीन अतिथि गण


देवरिया: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से भले ही हर कोई परिचित हो लेकिन यह बात काफी कम लोगों को मालूम होगा कि 1857 की इस क्रांति में देवरिया और 31 जुलाई का योगदान बहुत बड़ा है। इस क्रांति का आगाज यहीं से माना जाता है।

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शहीद स्थलों की मिट्टी का कलश

31 जुलाई 1857 को पैना के क्रांतिकारियों द्वारा घाघरा नदी को रोक दिया गया था, जो उस समय यातायात का प्रमुख साधन था। पैनावासियों ने रसद, खाद्यान्न को लूट लिया था और तमाम अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। इस युद्ध में स्त्री, पुरुष बच्चे शहीद हुए। कुल 395 ज्ञात तथा सैकड़ो अज्ञात लोग शहीद हुए थे। इससे क्षुब्ध अंग्रेज बड़ी पल्टन के साथ 31/ 7/1857 को जल, थल मार्ग से घेर कर चौतरफा आक्रमण कर पैना गांव का अस्तित्व मिटाने का प्रयास किया।

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सरयू नदी में दीप दान करते बच्चे

उसी के याद में 31 जुलाई 1817 को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से हरी प्रसाद सिंह की देख रेख में संगीत मय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पूर्व राज्य मंत्री राजेश त्रिपाठी, उप जिलाधिकारी बरहज अरुण कुमार सिंह सहित अनेक लोगो ने पैना के इतिहास पर विस्तार से प्रकास डाला। रघुनाथ सिंह इंटर कालेज के बच्चों ने इस मौके पर सरयू नदी में दीपदान किया।










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