मणिपुर हिंसा: पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़, जानिये पूरा अपडेट
मणिपुर की हिंसा प्रभावित इंफाल घाटी में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच बृहस्पतिवार रात हिंसा की किसी ताजा घटना की सूचना नहीं मिली और शुक्रवार सुबह तनावपूर्ण शांति बनी रही। हालांकि, घाटी के आसपास के पहाड़ी जिलों से सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
इंफाल: मणिपुर की हिंसा प्रभावित इंफाल घाटी में सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बीच बृहस्पतिवार रात हिंसा की किसी ताजा घटना की सूचना नहीं मिली और शुक्रवार सुबह तनावपूर्ण शांति बनी रही। हालांकि, घाटी के आसपास के पहाड़ी जिलों से सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के कांगवई, पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के पश्चिमी पहाड़ी इलाके फौगाकचाओ और इंफाल पूर्वी जिले के दोलाईथाबी और पुखाओ में जातीय हिंसा में शामिल हुए उग्रवादी समूहों और सुरक्षाबलों के बीच रुक-रुककर मुठभेड़ होने की सूचना मिली है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, फिलहाल यह नहीं पता चल सका है कि दोनों पक्षों में कोई हताहत हुआ है या नहीं।
एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि मणिपुर में सेना और असम राइफल्स के 6,000 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं, जबकि नगालैंड से सड़क मार्ग से अतिरिक्त सैनिकों को बुलाया गया है और वायु सेना के सी17 ग्लोबमास्टर और एएन32 विमान भी असम के तेजपुर और गुवाहाटी से अतिरिक्त जवान लेकर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, सेना की सिख रेजीमेंट अभी इंफाल पश्चिम जिले के लांगोल में बचाव अभियान चला रही है, जहां से 500 से अधिक लोगों को लीमाखोंग सैन्य शिविर में सुरक्षित आश्रय स्थलों में स्थानांतरित किया जा रहा है।
रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने एक बयान जारी कर कहा, “सभी हितधारकों की समन्वित कार्रवाई के जरिये स्थिति पर नियंत्रण हासिल कर लिया गया है। भारतीय वायु सेना के सी17 ग्लोबमास्टर और एएन32 विमानों ने असम की दो हवाई पट्टियों से कई उड़ानें भरकर क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की आपूर्ति की।”
बयान के अनुसार, “प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती चार मई की रात को शुरू की गई। अतिरिक्त बलों ने पांच मई को तड़के ही नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम आरंभ कर दिया। प्रभावित क्षेत्रों से सभी समुदायों के नागरिकों की निकासी का काम बृहस्पतिवार को रात भर किया गया। चुराचांदपुर और अन्य संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च जारी है।”
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रक्षा अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर में सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ तैनात किए गए हैं, जबकि 14 अन्य ‘कॉलम’ को तैयार रखा गया है।
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी।
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था।
पुलिस के अनुसार, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया। मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई।
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि उग्र भीड़ ने इंफाल शहर के न्यू चेकोन और चिंगमेइरोंग इलाकों में बृहस्पतिवार शाम दो शॉपिंग मॉल में तोड़फोड़ और आगजनी की थी, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने सड़कों पर गश्त बढ़ा दी थी।
उन्होंने कहा कि इंफाल और अन्य इलाकों में बृहस्पतिवार रात लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होते या अपने घरों से बाहर निकलते नहीं देखा गया, क्योंकि सड़कों पर गश्त तेज कर दी गई थी।
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रक्षा अधिकारी के मुताबिक, उग्र भीड़ ने बृहस्पतिवार को थनलॉन के आदिवासी विधायक वंजागिन वाल्टे पर हमला कर दिया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनका एक अस्पताल में उपचार चल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि समुदायों के बीच हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और घायल हुए हैं। हालांकि, पुलिस फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं कर रही है।
मालूम हो कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच भड़की हिंसा से दोनों समुदायों के 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में कई प्रभावित लोग सुरक्षाबलों के शिविरों में शरण ले रहे हैं।
मणिपुर सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए ‘देखते ही गोली मारने का’ आदेश दिया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि यह हिंसा समाज में ‘गलतफहमी’ का नतीजा थी और उनका प्रशासन स्थिति पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सभी उपाय कर रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति को लेकर एन बिरेन सिंह के साथ-साथ नगालैंड के मुख्यमंत्री नीफिउ रियो, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा से बात की है। उन्होंने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का जायजा लेने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं।