DN Exclusive महराजगंज से निचलौल-ठूठीबारी का सफर: यहां बदहाल हैं सड़कें, चलें जरा संभल के

डीएन संवाददाता

सड़कों से केवल राहगीर और वाहन ही नहीं गुजरते, सड़कों से विकास भी गुजरता है। इन पर महज गाड़ियों के पहिये ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिकी के चक्के भी घूमते हैं। घंटों के सफर को मिनटों में तब्दील करने वाली सड़कें कई इंसानी तकलीफों को भी कम करती हैं लेकिन जहां सड़कें उबड़-खाबड़, बीमार और गढ्ढ़ा युक्त हों, वहां विकास, आर्थिकी और सहूलियतें लड़खड़ा जाती है। सड़कों के इन्हीं आयामों को आधार बनाकर डाइनामाइट न्यूज पेश कर रहा है एक स्पेशल सीरिज। इस सीरिज के पहले भाग में पेश है- महराजगंज से निचलौल-ठूठीबारी सड़क की दास्तां..



महराजगंज: किसी भी क्षेत्र की सड़कें वहां की कई कहानियां भी बयां करती है। जिन सड़कों पर चक्के जितने तेज घूमेंगे, वहां सहूलियतों समेत विकास की रफ्तार भी उतनी ही तेज होंगी। यही एक बड़ा कारण रहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की नई सरकार बनते ही सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले राज्य की सड़कों को गढ्ढ़ा मुक्त कराने की घोषणा की। सीएम योगी की इस घोषणा से राज्य की जनता को लगा कि नये मुख्यमंत्री ने उनके दुखती रग का इलाज ढूंढ लिया है, लेकिन 9 माह बीत जाने की बाद भी उनकी यह घोषणा ढाक के तीन पात ही साबित हुई। 

 

 

ऐतिहासिक महत्व वाली निचलौल-ठूठीबारी सड़क

सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर से सटे जनपद महराजगंज की निचलौल-ठूठीबारी सड़क जिले की प्रमुख सड़कों में शुमार है। इस सड़क के कई ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व है। कनेक्टविटी के लिहाज से यदि इसे महराजगंज की लाइफ लाइन कहा जाये तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां से प्रतिदिन हजारों वाहन और मुसाफिर गुजरते हैं। जिला मुख्यालय समेत कई महत्वपूर्ण शहरों और कस्बों को जोड़ने वाली इस सड़क की गिनती अति प्राचीन मार्ग के रूप में भी की जाती है।

 

 

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गढ्ढ़ों में सड़क है या सड़क में गढ्ढे

कई मायनो में महत्वपूर्ण निचलौल-ठूठीबारी सड़क आज अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है। आजादी के समय के बाद पहली बार वर्तमान दौर में यह सड़क सबसे ज्यादा खस्ताहाल स्थिती में जा पहुंची है। यहां से गुजरने वाले लोगों को नहीं पता कि गढ्ढ़ों में सड़क है या सड़क में गढ्ढे। सड़क में गढ्ढे और गढ्ढ़ों में लबालब पानी भरा होने के कारण आये दिन यहां से गुजरने वाले राहगीर सड़क हादसों का शिकार होते रहते है। बड़े वाहनो की निरंतर आवाजाही के कारण सड़क लगातार धंसती जा रही है और गढ्ढ़ों की गहराई व आकार बढ़ता जा रहा है।

 

 

हादसों के बाद भी सफर की मजबूरी

40 किलोमीटर लंबी निचलौल-ठूठीबारी सड़क की इस दयनीय स्थिती के कारण जो सफर एक घंटे से भी कम समय में तय हो सकता है, उसके लिये 5 घंटे से अधिक का समय लगता है। क्षेत्र की मजबूर जनता को न चाहते हुए भी इस सड़क से गुजरना पड़ रहा है। भारत-नेपाल सीमा की ओर जाने वाले इस सड़क पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। 

 

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स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर उठते सवाल

यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क की दुर्दशा के लिये कोई और नहीं केवल वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधी ही जिम्मेदार है। राज्य सरकार और उसके कई विभाग सड़कों के रखरखाव, निर्माण और मरम्मत के नाम पर प्रत्येक साल भारी भरकम बजट जारी करते है। जनता का मानना है कि उनके जनप्रतिनिधियों में सरकार से बजट लेने की या तो हिम्मत नहीं है या फिर उनमें इच्छाशक्ति की बड़ी कमी है। कुछ लोग अंदेशा जताते है कि इतनी महत्वपूर्ण सड़क के लिये जरूर बजट आता होगा, लेकिन जनप्रतिनिधि उसकी बंदरबांट कर लेते होंगे। बजट की वास्तविक कहानी क्या है, ये तो पता नहीं, पर सड़क का वजूद संकट में है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं, यह जगजाहिर है। 

 

(महराजगंज जिले की सड़कों का हाल जानने और इनके सुरतेहाल बदलने के लिये डाइनामाइट न्यूज़ ने एक खास मुहिम शुरू की है। इस पहल में डाइनामाइट न्यूज़ आपका स्वागत करता है। डाइनामाइट न्यूज़ का मोबाइल एप.. 9999450888 पर मिस्ड काल कर नि:शुल्क डाउनलोड करें)










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