सीएसआईआर ने खोजे फसलों को कीटों से बचाने वाले कम्पॉज़िट्स
सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने देश के कई राज्यों में होने वाली चावल की खेती में पाए जाने वाले आर्सेनिक तत्व की मात्रा को घटाने वाले कई यौगिकों की खोज की है। इससे भविष्य में चावल से हानिकारक आर्सेनिक की मात्रा को कम किया जा सकेगा।
लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) के 64वें स्थापना दिवस पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एसके बारीक ने कहा कि सीएसआईआर किसानों की उत्पादन लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है। इस दौरान संस्थान ने कई ऐसे यौगिकों (कम्पॉज़िट्स) की खोज की है, जो फसलों को कीटों से बचाने और फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगे। इस अवसर पर ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एल एम एस पालनी, बायोटेक पार्क के पूर्व सीईओ प्रोफेसर पीके सेठ ,सीएसआईआर निदेशक प्रोफेसर एस के बारीक और कई गण मान्य अतिथि मौजूद रहे।
संस्थान के उल्लेखनीय शोध जारी
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सीएसआईआर निदेशक प्रोफेसर एस के बारीक ने संस्थान की उपलब्धियों का वर्णन करते हुए कहा कि संस्थान वनस्पतियों पर कई उल्लेखनीय शोध कर रहा है। सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में होने वाली चावल की खेती में पाए जाने वाले आर्सेनिक तत्व की मात्रा को घटाने वाले कई यौगिकों की खोज की है, जो भविष्य में चावल में पाए जाने वाले हानिकारक आर्सेनिक की मात्रा को कम करने में उपयोगी साबित होंगे।
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सीएसआईआर ने तैयार किये कई उपयोगी उत्पाद
सीएसआईआर की ओर कार्यक्रम के दौरान 3 अति उपयोगी उत्पाद प्रस्तुत किए गये। जिनमें उच्च पौष्टिकता युक्त हर्बल जैम, एन्टी कफ हर्बल सिरप सहित पाली हर्बल डेंटल क्रीम शामिल है। इन उत्पादों की तकनीकी जानकारी संस्थान निदेशक प्रोफेसर एस के बारीक ने 'हर्बल आयुर्वेद रिसर्च सेंटर' को दी।
सपने साकार करने में मिलेगी मदद
हर्बल आयुर्वेद रिसर्च सेंटर के निदेशक संजय गर्ग ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सीएसआईआर संस्थान द्वारा दिए गए तकनीकी जानकारी के अनुसार वह उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोडक्ट बनाकर बाजार में बेचेगा, जिससे प्रधानमंत्री के स्वस्थ भारत मिशन के सपने को साकार करने में मदद मिलेगी।