टाटा स्टील के CEO टी वी नरेंद्रन का बड़ा बयान, कहा- कंपनी करेगी संसाधनों का विस्तार, इस दशक में नहीं करेंगे और अधिग्रहण
टाटा स्टील लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन ने कहा है कि कंपनी पर इस दशक में नए अधिग्रहणों का कोई दबाव नहीं है, बल्कि वह अपने मौजूदा कारोबार के विस्तार एवं बिक्री में वृद्धि पर ध्यान देगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोलकाता: टाटा स्टील लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन ने कहा है कि कंपनी पर इस दशक में नए अधिग्रहणों का कोई दबाव नहीं है, बल्कि वह अपने मौजूदा कारोबार के विस्तार एवं बिक्री में वृद्धि पर ध्यान देगी।
टाटा स्टील के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कंपनी उत्पादन को दोगुना से अधिक कर वृद्धि हासिल करेगी और अपने मौजूदा संसाधनों के जरिये विस्तार करेगी।
नरेंद्रन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘बीते कुछ वर्षों में हमारी ज्यादातर वृद्धि अधिग्रहण के जरिये (इनऑर्गेनिक ग्रोथ) रही है। आज हम ऐसी स्थिति में हैं जहां वृद्धि की सभी आकांक्षाओं की पूर्ति हमारे मौजूदा स्थलों पर विस्तार के जरिये हो सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उत्पादन को 4-5 करोड़ टन सालाना (एमटीपीए) तक पहुंचाने के लिए हमें नई परिसंपत्तियों के अधिग्रहण की वास्तव में कोई आवश्यकता नहीं है। फिलहाल हमारा उत्पादन दो करोड़ टन का है। इस दशक में हम खुद के विस्तार के जरिये वृद्धि पर जोर देंगे।’’
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टाटा स्टील का 2021-22 में उत्पादन 1.90 करोड़ टन से अधिक रहा था।
कंपनी ने 2018 में भूषण स्टील का अधिग्रहण किया था। 2019 में उसने उषा मार्टिन का अधिग्रहण किया था। चालू अप्रैल-जून तिमाही के अंत तक वह नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) का अधिग्रहण पूरा कर लेगी।
कंपनी की विस्तार योजनाओं के बारे में नरेंद्रन ने कहा कि एनआईएनएल का उत्पादन 10 लाख टन से बढ़ाकर एक करोड़ टन सालाना किया जाएगा। वहीं कलिंगनगर संयंत्र का उत्पादन 30 लाख टन से 80 लाख टन और फिर 1.6 करोड़ टन किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े अवसर और योजनाएं बन रही हैं।’’
यूक्रेन पर रूस के हमले की पृष्ठभूमि में टाटा स्टील के रूस से कोयला आयात रोकने के निर्णय के बारे में नरेंद्रन ने कहा कि इतने ही कोयले का आयात अन्य देशों से आसानी से किया जा सकेगा।
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उन्होंने इस्पात की कीमतों में और वृद्धि के अनुमान को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘‘इस्पात की कीमतों में ज्यादातर वृद्धि फरवरी से अप्रैल के बीच की गई। अभी लागत स्थिर है इसलिए इस्पात की कीमतें भी स्थिर हैं।’’
नरेंद्रन ने कहा कि 2022-23 की पहली तिमाही में देश में इस्पात की कीमतें पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही की तुलना में 8,000-8,500 प्रति टन अधिक रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस समय इस्पात उद्योग में मांग-आपूर्ति की स्थिति अधिक संतुलित है और यह कुछ समय तक जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में इस्पात की खपत लगातार बढ़े (भाषा)