

माकपा की वरिष्ठ नेता के. के. शैलजा ने मुफ्त उपहारों की संस्कृति को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा है कि नागरिकों के लिए इस तरह की ‘‘अस्थायी सहायता’’ तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक कि अधिकारी उनकी समस्याओं का स्थायी व्यावहारिक समाधान नहीं तलाश लेते।
तिरुवनंतपुरम: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता के. के. शैलजा ने मुफ्त उपहारों की संस्कृति को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा है कि नागरिकों के लिए इस तरह की ‘‘अस्थायी सहायता’’ तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक कि अधिकारी उनकी समस्याओं का स्थायी व्यावहारिक समाधान नहीं तलाश लेते।
उन्होंने कहा कि सरकारों को जनता की सहायता के लिए सामाजिक कल्याण पेंशन और छात्रवृत्तियां देनी चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने यहां मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (एमबीआईएफएल) 2024 में एक परिचर्चा के दौरान यह कहा।
उन्होंने विकास के संबंध में राजनीति से हटकर एक 'वैज्ञानिक दृष्टिकोण' विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
शैलजा से जब परिचर्चा सत्र के संचालक ने पूछा कि क्या देश में 'मुफ्त उपहारों की राजनीति' को अपनाना उपयुक्त है, उन्होंने कहा कि इसे तब तक जारी रखा जाना चाहिए जब तक कि देश अपने नागरिकों की समस्याओं का व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं कर लेता।
उन्होंने कहा,'हम, लोगों से यह नहीं कह सकते हैं कि इन व्यावहारिक समाधानों के अस्तित्व में आने के बाद ही उन्हें इस तरह की सहायता प्रदान की जाएगी। इसलिए, इन तैयारियों के बीच अस्थायी सहायता मिलनी चाहिए।'
शैलजा ने केरल की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार को प्रत्येक पात्र व्यक्ति को सामाजिक कल्याण पेंशन के रूप में 1,600 रुपये हर महीने देना होगा। इसमें सब्सिडी (आवश्यक वस्तुओं के लिए) और विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी शामिल है।
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उन्होंने इस तर्क को 'अस्वीकार्य' बताया कि इन्हें खत्म कर देना चाहिए। माकपा की केंद्रीय समिति की सदस्य शैलजा ने कहा, 'मेरा विचार है कि इसे जारी रखा जाना चाहिए।'
वाम दल नेता का यह बयान कुछ साल पहले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की मुफ्त किट वितरण को लेकर हो रही आलोचना के कारण महत्वपूर्ण है।
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