Kerala:आदिवासी की पीट-पीटकर हत्या किये जाने के मामले में 13 दोषी करार

डीएन ब्यूरो

केरल की एक विशेष अदालत ने पालक्काड जिले में 2018 में कथित तौर पर खाद्य पदार्थ चुराने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में मंगलवार को 13 लोगों को दोषी ठहराया।

आदिवासी की पीट-पीटकर हत्या (फाइल)
आदिवासी की पीट-पीटकर हत्या (फाइल)


केरल: एक विशेष अदालत ने पालक्काड जिले में 2018 में कथित तौर पर खाद्य पदार्थ चुराने के आरोप में एक आदिवासी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में मंगलवार को 13 लोगों को दोषी ठहराया।

अट्टापडी के आदिवासी मधु की 22 फरवरी 2018 को चोरी के आरोप में स्थानीय लोगों ने बांधकर पिटाई की थी जिससे उसकी मौत हो गयी।

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) राजेश एम मेनन ने संवाददाताओं को बताया कि इस घटना के पांच साल बाद विशेष न्यायाधीश के. एम. रतीश कुमार ने इन लोगों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304(दो) के तहत गैर-इरादतन हत्या के आरोप में दोषी ठहराया, जिसमें अधिकतम 10 वर्ष के कारावास की सजा है।

उन्होंने बताया कि दोषियों की सजा की अवधि को लेकर फैसला बुधवार को सुनाया जाएगा।

मेनन ने यह भी कहा कि 13 दोषियों में से एक को आईपीसी की धारा 304(दो) के तहत दोषी करार दिया गया है और बाकी के 12 दोषियों को इसके साथ ही धारा 326 (खतरनाक हथियारों से जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 367 (गंभीर चोट पहुंचाने या दासता के इरादे से अपहरण) के तहत भी अपराधों का दोषी ठहराया गया है।

धारा 326 तथा 367 के तहत अधिकतम सजा क्रमश: आजीवन कारावास और 10 वर्ष की जेल है।

एसपीपी ने बताया कि 12 दोषियों को एससी/एसटी कानून की धारा 3(1)(डी) के तहत अपराध का दोषी ठहराया गया है।

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मेनन के अनुसार, अदालत का मानना था कि दोषियों की आदिवासी व्यक्ति को मारने की मंशा नहीं थी। अदालत ने 16 आरोपियों में से दो को बरी कर दिया था।

उन्होंने बताया कि मामले में 16वें आरोपी को आईपीसी की धारा 352 के तहत दोषी ठहराया गया, जिसमें तीन माह तक जेल या 500 रुपये तक जुर्माना या दोनों सुनाये जा सकते हैं।

मेनन ने कहा कि अदालत ने आरोपियों को हत्या का दोषी नहीं माना और आदेश की प्रति मिलने के बाद ही इसकी वजह स्पष्ट हो पाएगी।

मधु की मां ने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, खासतौर से दो आरोपियों को छोड़ने और 16 में से किसी को भी हत्या का दोषी न ठहराये जाने से। उन्होंने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं इस फैसले के खिलाफ अपील करूंगी।’’

मधु की बहन ने कहा कि वह 16 में से 14 लोगों को दोषी करार दिए जाने के लिए अदालत की आभारी हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वह फैसले से खुश हैं, क्योंकि किसी ने नहीं सोचा था कि वे मधु के लिए अपनी लड़ाई इतने लंबे वक्त तक जारी रख पाएंगे।

हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानती हूं कि मैं इस मामले को जरूरत पड़ने पर उच्चतम न्यायालय तक ले जा सकती हूं। हम हत्या के आरोपों को लेकर और दो आरोपियों को बरी करने के खिलाफ अपील करेंगे। मुझे नहीं लगता कि मेरे भाई को न्याय मिला है। उसे तब तक न्याय नहीं मिलेगा, जब तक कि उनमें से सभी (16 आरोपी) दोषी करार नहीं दिए जाते।’’

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इस बीच, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री के राधाकृष्णन ने कहा कि यह फैसला शायद मधु के परिवार और पूरे केरल के लोगों के लिए एक राहत के रूप में आ सकता है, और इससे उन्हें कुछ संतुष्टि मिल सकती है।

मंत्री ने कहा कि राज्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी को निरंतर सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं तो देश के दूसरे हिस्सों में हो रही मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं यहां भी होंगी।’’

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने भी इस फैसले को राज्य के लोगों के लिए राहत करार दिया। उन्होंने कहा कि इस घटना से प्रदेशवासी स्तब्ध हैं।

हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि मामले से निपटने में सरकार की ओर से गंभीर विफलता हुई, क्योंकि ‘‘कई गवाह मुकर गए, पीड़ित परिवार को डराया गया और पुलिस ने कुछ नहीं किया’’।

सतीशन ने कहा, ‘‘यह मधु के परिवार की लड़ाई की भावना और दृढ़ संकल्प था, जो मामले में प्रगति के लिए महत्वपूर्ण था।’’










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