कानपुर: आग पर चलकर मनाया मुहर्रम का मातम
कानपुर के ग्वालटोली क्षेत्र में मुहर्रम के मौके पर देर रात आग के मातम का आयोजन किया गया था। हजारों मुस्लिम लोगों ने इमाम हुसैन को याद करते हुए दहकते शोलों के ऊपर चल कर मातम मनाया। इस मातम के आयोजन में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल रहे।
कानपुर: दुनिया में त्योहार का अपना हीं महत्व होता हैं परंतु अनेक धर्मो के बहुत से त्योहार खुशियों का इजहार करते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी त्योहार हैं जो हमे सच्चाई और मानवता के लिए दी गई शहादत की याद दिलाते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है मुहर्रम, जो पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है।
ग्वाल टोली शहर के लोगों ने इमाम हुसैन के क़त्ल की शहादत में शनिवार की देर रात मातम का आयोजन मनाया था। शहर के मुस्लिम लोगों ने शहादत को याद करते हुए अंगारों पर चलकर मातम मनाया था।
ऐसे मनाया जाता हैं मुहर्रम
ग्वालटोली क्षेत्र में मुहर्रम के मौके पर देर रात आग के मातम का आयोजन किया गया था। हजारों मुस्लिम लोगों ने इमाम हुसैन को याद करते हुए दहकते शोलों के ऊपर चल कर मातम मनाया। इस मातम के आयोजन में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल रहे।
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वहीं मुस्लिम संगठन ने 'या हुसैन हम ना हुए' के नारे लगाते हुए आग रूपी अंगारों पर चल पड़े थे। इस अवसर पर मुख्य चीज़ यह देखने को मिली कि सभी मुसलमान अंगारों से गुजरने के लिए काफी बेताब और जोश में दिखाई दे रहें थे।
मातम को देखने के लिए इकठ्ठा हुई हज़ारों लोगों की भीड़
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अकील अहमद द्वारा मातम का आयोजन किया गया था। और अकील अहमद ने बताया की हमारे इमाम हुसैन और उनके साथियो की शहादत में हम लोग यह मातम मनाते हैं। जिसको देखने के लिए सैकड़ो की संख्या में लोग पहुंचते है। हम लोग आग के अंगारो में चल कर मातम मनाते है। और यह मातम की परम्परा सैकड़ो वर्ष से मनाते आ रहीं हैं।