दिल्ली में नवंबर में लगेगी अंतरराष्ट्रीय खाद्य प्रदर्शनी, जानिये इसकी खास बातें

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में तीन से पांच नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय खाद्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के अवसर दिखेंगे।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस
केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस


नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में तीन से पांच नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय खाद्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के अवसर दिखेंगे।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पारस ने कहा, “हमने यहां प्रगति मैदान में होने वाले वर्ल्ड फूड इंडिया (डब्ल्यूएफआई) 2023 का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) से आग्रह किया है।”

पारस ने कहा कि भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश के कई अवसर हैं। कार्यक्रम में घरेलू और वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया की खाद्य वस्तुओं का केन्द्र बनने की क्षमता है और उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश कई महत्वपूर्ण कृषि फसलों का सबसे बड़ा और कई फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

यह डब्ल्यूएफआई का दूसरा संस्करण होगा। पहला संस्करण 2017 में आयोजित हुआ था। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए नवीनतम तकनीक और नवाचार के उपयोग पर भी जोर दिया।

खाद्य प्रसंस्करण सचिव अनीता प्रवीण ने कहा कि वर्ल्ड फूड इंडिया, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित सभी अंशधारकों को एक अनूठा मंच प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि यह आयोजन मोटा अनाज उत्पादन में भारत की ताकत को दर्शाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र सालाना 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।

उद्योग निकाय फिक्की कार्यक्रम का सहभागी होगा जबकि इन्वेस्ट इंडिया निवेश सुविधा साझेदार और अर्न्स्ट एंड यंग ‘नॉलेज पार्टनर’ होगा।

इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा उद्योग जगत के अंशधारकों की भागीदारी देखी जाएगी।

 










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