भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस प्रमुख समझौते को लेकर बनी सहमति, जानिये पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को मौजूदा मुक्त व्यापार समझौता को विस्तार देने के लिए जारी वार्ता को इस साल के अंत तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को पांच साल में 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

भारत-आस्ट्रेलिया के बीच होगा अहम व्यापार समझौता
भारत-आस्ट्रेलिया के बीच होगा अहम व्यापार समझौता


नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को मौजूदा मुक्त व्यापार समझौता को विस्तार देने के लिए जारी वार्ता को इस साल के अंत तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को पांच साल में 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है।

यह मुद्दा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष डॉन फैरेल के बीच संयुक्त मंत्रिस्तरीय आयोग की बैठक के दौरान उठाया गया।

फैरेल यहां आधिकारिक दौरे पर भारत आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज के साथ आए हैं।

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल 29 दिसंबर को आर्थिक सहयोग एवं व्यापारिक समझौता (ईसीटीए) लागू किया था और अब व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) के लिए इसके विस्तार के लिए वार्ता कर रहे हैं।

गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “ईसीटीए हमारे आर्थिक समझौते का पहला चरण है। हम अब अपनी चर्चाओं के दूसरे चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां हम विषयों के अधिक व्यापक दायरे को देख रहे हैं और इसे सीईसीए में ले रहे हैं।”

कई प्रमुख मुद्दों पर 10 मार्च को यहां हुई पहली भारत-ऑस्ट्रेलिया शिखर वार्ता के बाद, अल्बानीज ने कहा है कि दोनों पक्ष 2023 तक महत्वाकांक्षी सीईसीए को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।

एक संयुक्त बयान में उल्लेख किया गया कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने संबंधित अधिकारियों को अगले तीन महीनों के भीतर एक प्रवासन और गतिशीलता भागीदारी व्यवस्था (एमएमपीए) को पूरा करने में तेजी लाने का काम सौंपा है।

इसबीच गोयल ने शनिवार को बताया कि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी बनाने में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों पर ऑस्ट्रेलिया से बात कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में महत्वपूर्ण खनिजों की कमी है, जिनका उपयोग बैटरी बनाने में होता है और ऑस्ट्रेलिया में इनका बड़ा भंडार है। फिलहाल ऑस्ट्रेलिया से कई देश इन खनिजों का आयात कर अपने विनिर्माण इकाइयों को विकसित कर रहे हैं।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय










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