Hidden Temples In India: रहस्य से भरे हैं भारत के ये मंदिर, जान कर उड़ जाएगें होश
भारत में रहस्यों से भरे कुछ मंदिर ऐसे हैं कि उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये इतने प्राचीन हैं कि उनकी उत्पत्ति अभी भी एक रहस्य बनी हुई है। डाइनामाईट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिए कि कुछ प्राचीन और रहस्यमयी मंदिरो के बारे में।
नई दिल्ली: भारत में कई मंदिर ऐसे हैं, जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगते। इनमें से कुछ मंदिर ऐसे लगते हैं जैसे उनका निर्माण एक रात में किया गया हो। परंतु ये बात कितनी सच है ये अभी पता नहीं चला है, लेकिन इन मंदिरों से भक्तों की आस्था अब भी बनी हुई है। कुछ मंदिर ऐसे जो सैकड़ों साल से भी अधिक पुराने हैं। ये मंदिर आज भी एक बड़ा रहस्य है। डाइनामाईट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे जानिये इन रहस्मयी मंदिरो के बारे में।
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो अपनेआप में ही एक रहस्य बना हुआ है। यह मंदिर असम की राजधानी दिसपुर गुवाहाटी से थोड़ी ही दूर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। कामाख्या मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव की अर्धांगिनी माता सती को समर्पित है। इस मंदिर में कुछ ऐसी रहस्यमयी घटनाएं घटती रहती हैं जो मनुष्यो को आश्चर्यचकित कर देती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार नीलांचल पहाड़ी पर माता सती ने जब अपना देह त्यागा था तब पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योगशक्ति से अपना देह त्याग दी तो भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु अपने चक्र से उनका देह काटते गए तो नीलाचल पहाड़ी में भगवती सती की योनि (गर्भ) गिर गई, और उस योनि (गर्भ) ने एक देवी का रूप धारण किया, जिसे कामाख्या देवी कहा जाता है।
रहस्यमयी बातें: मंदिर में पूजा करने के लिए कोई मूर्ति नहीं है और देवी हर मानसून में रजस्वला होती हैं। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां न तो माता की काई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर है। साथ ही यहां एक कुंड भी है। ये कुंड हमेशा फूलों से ढंका रहता है। ऐसा माना जाता है कि 3 दिन माता सती रजस्वला रहती है, इस दौरान 3 दिन तक कोई भी पुरुष यहां प्रवेश नहीं कर सकता है। इस समय माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है।
ब्रह्मा मंदिर
यह भी पढ़ें |
मकर संक्रांति 2019: जानिए क्या है मकर संक्रांति और क्या कुछ खास होता है इस दिन
पुष्कर, राजस्थान का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जहाँ पर भगवान ब्रह्मा जी का एक महान मंदिर स्थित है। इस मंदिर की कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी यज्ञ के लिए उचित स्थान तलाश कर रहे थे तभी उनके हाथों का कमल का फूल धरती पर गिर गया जिसके कारण एक झरने का निमार्ण हुआ। यह देखकर ब्रह्मा जी वहीं यज्ञ के लिए बैठ गए। यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी के साथ एक स्त्री का होना आवश्यक था, भगवान ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री वहां नहीं थी और शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था। इस कारण ब्रह्मा जी ने उसी समय वहां मौजूद एक सुदंर स्त्री के विवाह करके उसके साथ यज्ञ संपन्न कर लिया। जब यह बात देवी सावित्री को पता चली। इससे नाराज होकर उन्होंने ब्रह्मा जी को यह श्राप दे दिया कि जिसने सृष्टि की रचना की पूरी सृष्टि में उसी की कहीं पूजा नहीं की जाएगी।
रहस्यमयी बातें: देवी सावित्री के दिए श्राप के कारण पुष्कर को छोड़ के पूरे विश्व में भगवान का एक भी मंदिर नहीं है।
तिरुपति बालाजी मंदिर
इस मंदिर के विषय में एक अनुश्रुति इस प्रकार से है। प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु अवतार माना जाता है। प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था। यह सरोवर तिरुमाला के पास स्थित है। तिरुपति बालाजी, या वेंकटेश्वर स्वामी, आंध्र प्रदेश के तिरुमाला मंदिर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू देवता हैं। यह मंदिर विष्णु भगवान के अवतार को समर्पित है और भारत के सबसे अधिक यात्रा किये जाने वाले मंदिर में से एक है। ऐसे माना जाता है कि भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर मानव जाति को कलियुग की परीक्षाओं और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस स्थान का नाम कलियुग वैकुंठ भी पड़ा है और यहां के देवता को कलियुग प्रत्यक्ष दैवम कहा जाता है।
यह भी पढ़ें |
महराजगंज: भारत से नेपाल भाग रहे विदेशी को इमीग्रेशन विभाग ने पकड़ा
रहस्यमयी बातें: ऐसा माना जाता है कि वेंकटेश्वर स्वामी प्रतीमा एक विशेष पत्थर से बनी है। यह प्रतिमा इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान विष्णु स्वयं यहां विराजमान हैं। भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है, पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं। इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है।
कोडुंगल्लूर श्री कुरुम्बा भगवती मंदिर
कोडुंगल्लूर श्री कुरुम्बा भगवती मंदिर भारत के केरल राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवती देवी को समर्पित है और यहां स्थिति और समृद्धि के लिए पूजा की जाती है। यह मंदिर केरल की प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर में देवी भद्रकाली की पूजा होती है। यह मंदिर देवी भद्रकाली को समर्पित है , जो कि महाकाली, माँ दुर्गा या आदि पराशक्ति का एक रूप है , जिसकी केरल में विशेष रूप से पूजा की जाती है। महाकाली मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। कोडुंगल्लूर श्री कुरुम्बा भगवती के इस मंदिर स्थापित इष्टदेवी को अपशब्द कहे जाते हैं।
रहस्यमयी बातें: केरल के त्रिशूर कुरुम्बा भगवती मंदिर में स्थापित इष्टदेवी को अपशब्द कहे जाते हैं। मंदिर की इष्टदेवी कोई और नहीं बल्कि महाकाली का एक स्वरूप भद्रकाली हैं, जो अपने क्रोध के लिए जानी जाती हैं। लोग इस मंदिर में प्रवेश करता समय देवी को देवी भद्रकाली के लिए अपशब्दों और गालियों से भरे गीत गाए जाते हैं। कहा जाता है कि इन अपशब्दों को सुनकर देवी भद्रकाली प्रसन्न होती हैं।